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सरस्वती
[ भाग ३६
ललाट-पट को विशेष रूप से रेखाङ्कित कर दिया है। उनकी पिछली बीमारी बड़ी भयंकर थी। उनसे कम संयम और सम्पत्ति का मनुष्य फ़ालिज के ऐसे प्रबल प्रकोप से नहीं बच सकता था। ईश्वर की कृपा है कि इस भयंकर रोग ने उनकी प्रकृति में हलकी-सी बेसबरी के अलावा और कोई भी दुष्प्रभाव नहीं छोड़ा। हमारा मतलब यह नहीं है कि गुप्त जी बिलकुल नीरोग हैं। अभी तक वे चल-फिर नहीं सकते और न हर एक चीज़ खा-पी ही सकते हैं । अओषधि का सेवन अभी तक जारी है।
में बैठा ही था कि टेलीफ़ोन की घंटी घनघना उठी। गुप्त जी ने रिसीवर उठाकर कान से लगाया। रिसीवर ज़रा तेज़ किस्म का था, इसलिए कुछ आवाज़ बाहर भी सुनाई देती थी।
"हलो !” गुप्त जी ने कहा,
“हलो !” पुकारनेवाले महाशय बोले । [श्री शेरसिंह-दौहित्र व उत्तराधिकारी। अवस्था १८
"फर्माइए" गुप्त जी बोले । वर्ष, बनारस-हिन्दू-विश्वविद्यालय के द्वितीय वर्ष के छात्र ।
"का क क का के कोक के को' । इङ्गितज्ञ के पास उनकी वदनाकृति से उनकी मनोदशा
टेलीफ़ोन से आवाज़ आई, जैसे कठपुतलीवाले बोलते जानने के लिए अब और कोई साधन बाकी नहीं रह गया
हैं, जिसका अर्थ मैंने समझा कि श्राप कहाँ से बोल रहे हैं । है। बालों की विपुल वृद्धि से उनका मुखमण्डल सम्पूर्ण
“सेवा-उपवन से" । गुप्त जी बोले । रूप से आच्छादित रहता है। उनके होंठ और ठुड्ढी
“कहाँ से ?” फिर आवाज़ पाई। पर की प्रचुर उपज उनकी मधुर मुसकराहट को राहु के
“सेवा-उपवन से' । गुप्त जी ने फिर कहा । समान ग्रस लेने को सदा सावधान रहती है । और दर्शक
"नहीं सुना।” पर यह असर पड़ता है कि शायद दिन भर में वे किसी
“सेवा-उपवन से !” शिवप्रसाद जी ने बहुत | भी समय मुसकराते न हों। पहले-पहल पहुँचने पर ज्यों
सहूलियत से समझाया। ही मैंने उनके समक्ष जाकर प्रणाम किया, मैंने देखा कि
"अापका नाम ?" मेरे सत्कार के लिए उनके चेहरे पर वही पहले की-सी
"शिवप्रसाद गुप्त" मुसकराहट चमक गई। लेकिन वह मुसकराहट उनके
"अायें !" दाढ़ी और मूछों में उसी प्रकार उलझकर रह गई जैसे
"शिवप्रसाद गुप्त"। आश्विन मास में हलके मेघों से आच्छादित आकाश में
"कौन ?" चन्द्रमा की ज्योति कभी-कभी फँस कर रह जाती है। "शिवप्रसाद गुप्त"। । आँखों में मैंने पूर्ववत् स्नेह पाया, किन्तु ललाट पर कुछ मैंने देखा कि बाबू शिवप्रसाद जी की पेशानी पर शिकन आ गई है। दोनों भ्रप्रदेश साधारण आघात पर शिकन आ गई। भी आसानी से निकटतर अा जाया करते हैं। और मुझे यह "श्रापका नाम ?” फिर टेलीफ़ोन से पुकारनेवाले देखकर दुख हुआ कि पिछले १२ मास की बीमारी ने उनके ने पूछा ।
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