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________________ जाग्रत महिलायें कुमारी सावित्री वंशीधर, एम० ए०, का स्वर्गवास लेखक, श्रीयुत मङ्गलप्रसाद विश्वकर्मा त्यन्त दुख के साथ लिखना पड़ता है कि इसी अगस्त महीने के आरम्भ में कुमारी सावित्रीदेवी का परलोकवास हो गया। यदि मेरा अनुमान सत्य है तो यह कहना अनुचित न होगा कि हमारे अखिल भारतवर्षीय मन्वाचारी विश्वकर्मासमाज में कुमारी सावित्री ही उन महिला-रत्नों में सर्वप्रथम थीं जिन्होंने एम० ए० तक सफलतापूर्वक उच्च शिक्षा पाई है। वे लगभग डेढ़ वर्ष से बीमार थीं, गत मई मास में उन्होंने अर्थशास्त्र लेकर एम० ए० में उत्तीर्ण होने का समाचार सुना था । पर जब वे अपने जीवन का अन्य कोई सर्वोच्च लक्ष्य निर्दिष्ट करना चाहती थीं तब दैव ने उनकी ऐहिक लीला ही समाप्त कर दी । उनकी प्रतिभा आश्चर्यजनक एवं अनुपम थी । उन्होंने जितनी भी परीक्षायें दीं - सभी में सर्वप्रथम उत्तीर्ण होती रहीं। इसके बदले में उन्हें कई स्वर्णपदक तथा रजत पदक भेंट में मिले थे, जो आज उनके दुखी परिवार के लिए उनकी शतशत स्मृतियों को जाग्रत कर, असीम वेदना को हरा-भरा बनाये रखने के लिए बच रहे हैं। बड़े दुःख की बात तो यह है कि कुमारी सावित्री इस समय पचीस वर्ष के लगभग थीं और अभी कुमारी ही थीं। उनके अ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat [" स्व० कुमारी सावित्री वंशीधर एम० ए० ] वयोवृद्ध पिता ने अश्रुक्ति नयनों से तथा वेदना- कण्टकित हृदय से कहा कि मैं सावित्री के दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने के लिए योग्य वर की तलाश में था, २५३ www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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