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________________ संख्या ३) सिंहावलोकन २४७ आतंकवाद का बङ्गाल प्रान्त केन्द्र होगया है। बङ्गाल- असली रूप तो गाँवों में ही दिखाई देता है। ग़रीबी के सरकार ने भी उसे बढ़ने से रोकने में अपनी पूरी शक्ति कारण वहाँ की हालत दिन पर दिन सोचनीय होती जा लगा दी है। फलस्वरूप खुले आम आतंकवाद का ज़ोर रही है। यही सोच कर महात्मा गान्धी ने ग्राम्य-सेवाअवश्य कम हो गया। मगर जैसा कि ढाका में अपने संघ की स्थापना करने की घोषणा की। महात्मा गान्धी भाषण में सर जान एन्डरसन ने कहा है कि भर्ती छिपे लिपे के इस निश्चय से चारों ओर तरह तरह के भाव प्रकट अभी जारी है। आतंकवाद का मुख्य कारण है बंगाल में होने लगे और धारणा हुई कि शीघ्र ही देहातियों को शिक्षित समाज की बेकारी। जब तक सरकार उस महात्मा जी अपने हाथ में कर लेंगे। उधर सरकार मी बढ़ती हुई बीमारी को रोकने का कोई प्रबन्ध नहीं करती चुप न थी। तुरन्त ही यह सरकारी घोषणा की गई कि और केवल दमन के ही सहारे उसे दबाना चाहती है, खेती और गाँवों की भलाई के लिए सरकार आगे से वह सफलीभूत पूरी तौर से नहीं हो सकती। सरकार को विशेष ध्यान देगी। इसके लिए बजट में एक करोड़ चाहिए कि वह जनता पर विश्वास करे। सर जान रुपये की स्वीकृति भी असेम्बली-द्वारा करा दी गई। सरएन्डरसन ने नरम नीति की घोषणा की है और उसी के कार के इस निश्चय से कुछ लोगों को सन्देह हुआ कि अनुसार पहले से कुछ ज़्यादा नज़रबन्द कैदी छोड़े भी जा यह युक्ति केवल महात्मा गान्धी के चलाये जानेवाले रहे हैं। असोशियेटेड प्रेस की एक सूचना-द्वारा ज्ञात ग्राम-सेवा-संघ को दबाने के लिए की गई है। कहनेहोता है कि हाल में ही बंगाल-सरकार ने करीब ८०० वाले चाहे जो कहें, यह तो मानना ही पड़ेगा कि इस नजरबन्द कैदियों को गाँवों में रहने को भेज दिया है. समय सरकार का एक करोड रुपया गाँवों की भलाई के करीब १७५ को घर पर रहने के लिए, २५० को कुछ शर्त लिए खर्च करना अपनी विशेषता रखता है । ग्रामीणों की लगा कर और १०० व्यक्तियों को बिना किसी शर्त के छोड़ भलाई के लिए इस तरह का देशव्यापी आयोजन आज दिया है। श्री शरच्चन्द्र बोस भी बिना किसी शर्त के रिहा तक यहाँ नहीं किया गया और यदि यह प्रयत्न सफल भी कर दिये गये हैं। मगर इतने थोड़े-से लोगों को छोड़ने से नहीं होगा, तो भी इससे ग्रामीणों का उस दशा में भी काम न चलेगा। उदार नीति का अर्थ तो यह है कि कुछ न कुछ उपकार अवश्य हो जायगा। यह सच जितनी शीघ्रता से हो सके नज़रबन्द कैदी मुक्त कर दिये है, इतनी छोटी रकम से विशेष सुफल नहीं प्रकट होगा। जायँ और जैसा कि पहले कहा जा चुका है, बंगाल-सरकार परन्तु यह अभी प्रारम्भ है । अतएव अभी इस सम्बन्ध में बंगाल की सबसे कठिन समस्या मध्यम श्रेणी के शिक्षित कुछ नहीं कहा जा सकता । गाँवों की सबसे विकट समस्या युवक-समाज की बेकारी दूर करने की चेष्टा करे। है वहाँ की ग़रीबी। अतएव सरकार का यह कर्त्तव्य होना चाहिए कि वह वहाँ की बढ़ती हुई ग़रीबी ___ महात्मा गान्धी असहयोग-अान्दोलन को बन्द करके का जितनी जल्दी हो सके, दूर करने का अव्यर्थ अपना ध्यान गाँवों की ओर ले गये हैं। भारत का प्रयत्न करे। x Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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