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संख्या ३]
विजय के पथ पर
निकले। वे अपने पीछे श्रादर्श मित्र एवं वीर प्रतिद्वंद्वियों के सुखी परिवार की मधुर स्मृतियाँ छोड़ गये हैं।"
ये हैं एक विजयी प्रतिद्वंद्वी के उद्गार! वास्तव में प्रतिद्वंद्वी की प्रशंसा ही खिलाड़ियों के लिए सबसे बड़ा सम्मान है।
टेनिस-टेनिस में भी भारत को अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त हुई है । संसार-प्रसिद्ध टेनिस टूर्नामेंट 'डेविस कप'
आल इंडिया हाकी-टीम के विदेश-यात्रा से लौटने पर बम्बई के में भारत के कितने ही युवक
मेयर-द्वारा स्वागत खेल चुके हैं। इसमें प्रायः सभी उन्नतिशील पाश्चात्य राष्ट्र भाग लेते हैं। परन्तु दूसरे में भी उत्साहहीन नहीं होते। भारत के भूतपूर्व चैम्पियन देशों का टेनिस स्टैन्डर्ड यहाँ से काफ़ी उन्नत रहने के डी० एन० कपूर की भी प्रणाली करीब करीब ऐसी ही है। कारण यहाँ के खिलाड़ियों को वहाँ सफलता नहीं मिल आप कई बार सर्वभारतीय चैम्पियन हो चुके हैं। श्राप रही है । अाज से ११ वर्ष पहले हिन्दुस्तान के श्री महम्मद इटली के चैम्पियन जी० डी० स्टेफ़ानी के साथ जब खे ते सलीम ने, जो अपने समय के संसार के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी थे तब अपने चमत्कार का पूरा परिचय दिया था। समझे जाते थे, विश्वविख्यात खिलाड़ी लोरेंज्यू को हराया था। 'डेविस कप' में फ्रांस प्रथम विजयी हुअा था। इसी साल से भारत का नाम हुा । मुहम्मद सलीम योरप के कितने ही बड़े बड़े टूर्नामेंटों में खेल चुके हैं। उनकी खेलने की शैली बहुत सुन्दर है। वे बड़ी दृढ़ता से खेलते हैं। कितने ही खिलाड़ी जब किसी बड़े टूर्नामेन्ट 1 में खेलते हैं तब बहुत शीघ्र घबरा | जाते हैं और इस कारण बहुत बार । सुन्दर खेलकर भी हार जाते हैं। पर सलीम की दृढ़ता ऐसे समय [इंडियन डेविस कप टीम -बाई ओर से श्री मदनमोहन, श्री हीरालाल अद्भुत है । वे बुरी से बुरी स्थिति सोनी, कर्नल बी० श्रो० रो० (टीम से अलग), श्री चरनजीव
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