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________________ संख्या २] सम्पादकीय नोट १९१ उसकी चपेट में आने से कैसे बच सकता था ? भारत की केवल सरकारी उद्योग तथा सहयोग विभाग के अधिकारी आय का मुख्य द्वार अाज भी खेती-बारी है, और अन्न तथा सरकारी टेक्सटाइल इंस्टिट्यूट के प्रिंसपल की आदि के बाज़ार की मंदी ने भारतीय किसानों को कहीं का अांशिक सत्ता उस समिति पर रहेगी। समिति की पूँजी न रक्खा। वे अपनी खेती की उपज को बेच कर अाज न ५ लाख रक्खी गई है । १५ रुपये फी हिस्से के हिसाब से भूमि-कर दे पाते हैं, न वह उनके निर्वाह के लिए ही पर्याप्त १० हजार हिस्सों-द्वारा यह समिति अपना कार्य चलाने के होता है। लिए धन एकत्र करेगी। जो पूँजी सरकार प्रदान करेगी ऐसे ही दयनीय दशा को प्राप्त भारतीय किसानों की वह बुनाई का धन्धा बढ़ाने के लिए सहायता के रूप में ओर लोक-नेताओं का तथा भारत सरकार का भी ध्यान लगाई जायगी। इस समिति की उपसमितियाँ प्रत्येक जिले गया है। इसी से पिछले दिनों ग्राम-सुधार की काफ़ी में खोली जायँगी। इस समिति के अधिकारी बुनकरों को चर्चा रही है। परन्तु अभी तक किसी तरह की कोई योजना कों और रुई की ही व्यवस्था नहीं करेंगे, किन्तु उन्हें जनता के सामने नहीं आई है । हाँ, मदरास तथा संयुक्त- बुनने और रँगने की शिक्षा भी देंगे तथा उनके तैयार प्रान्त की सरकारों ने अपनी अपनी स्कीमें कुछ कुछ प्रकट किये हुए माल की बिक्री का भी प्रबन्ध करेंगे। इस प्रकार की हैं। अर्थ-संकट से पीड़ित किसानों के लिए बुनाई के धन्धे की मदरास की प्रान्तीय सरकार को भारत-सरकार से जो यह व्यवस्था की गई है उससे वहाँ के किसानों का ग्राम-सुधार के लिए जो धन दिया गया है उसका १४.३७ लाख रुपया उसने सिंचाई की व्यापक व्यवस्था करने संयुक्त प्रान्त की सरकार भी ग्राम-सुधार के लिए एक के काम में खर्च करने का निश्चय किया है। उसका प्रान्त-व्यापी प्रोग्राम तैयार कर रही है। वह भी सिंचाई अनुमान है कि सिंचाई की व्यवस्था कर देने से उपज की सुविधा कर देने के लिए सारे प्रान्त में 'ट्यूब-वेल' बढ़ेगी और बेकारी भी घटेगी। कदाचित् इस व्यवस्था में बनवाने का तथा देहातों में बिजली चलाने की व्यवस्था लाभ देखकर उसने अगले वर्ष १४८८ लाख रुपया का आयोजन करना चाहती है। इस सिलसिले में ठोस और उसके बाद १६.७५ लाख रुपया लगाने का विचार कार्य करने के लिए इन प्रान्तों के शिक्षा मंत्री ने जो नई किया है। इस प्रकार तीन वर्षों के भीतर ५० लाख स्कीम तैयार की है उस पर अभी विचार हो रहा है। परन्तु रुपया सिंचाई की प्रान्तव्यापी व्यवस्था करने में लगाने का उसकी जो रूप-रेखा सामने आई है उससे जान पड़ता है विचार किया गया है। इस रक़म में ६ लाख रुपये की कि मदरास की तरह यहाँ भी ग्राम-सुधार के सम्बन्ध में जो कमी आती है उसकी पूर्ति के लिए प्रतिवर्ष २ लाख बहुत कुछ ठोस ही कार्य होगा। रुपये की प्रान्तीय गाय से अलग व्यवस्था की गई है। इसमें सन्देह नहीं है कि ग्राम-सुधार के लिए सरकार इस प्रबन्ध से मदरास की सरकार अपने प्रान्त के कृषकों जो कुछ भी कार्य करेगी उस सबसे ग्रामीणों की बिगड़ी हुई को सिंचाई के उपयुक्त साधन प्रस्तुत कर देना चाहती है, दशा का बहुत कुछ सुधार होगा। परन्तु उनकी वर्तमान जिससे कृषि की एक भारी असुविधा दूर हो जाय । अवस्था में तब तक वाञ्छनीय परिवर्तन न हो सकेगा जब ___ इसके सिवा मदरास-सरकार ने कपड़े की बुनाई का तक उन्हें यह विश्वास नहीं हो जाता कि उनकी जोत की काम भी सर्वसाधारण के लिए खोलने का प्रबन्ध किया भूमि उनकी अपनी है और वह उनकी बपौती है। है। इस वर्ष वह इस काम में ५६,५०० रुपया व्यय करने का निश्चय कर चुकी है। इसके लिए उसने 'प्रान्तीय बुनकर- एक लेखक का कटु अनुभव सहयोग-समिति' की स्थापना मदरास शहर में की है। काशी जी से 'सनातनधर्म' नाम का एक साप्ताहिकइसका प्रबन्ध गैर सरकारी आदमियों के द्वारा होगा। पत्र प्रकाशित होता है। यह महामना पंडित मदनमोहन Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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