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________________ सरस्वती [भाग ३६ . अदायगी में सरकारी बांड दे देगा और क़र्ज़दार रईस रईस ने अपने पूर्वजों की जायदाद का कुछ हिस्सा काम को हुक्म देगा कि २० बरस में इस रकम को सूद के में ले लिया है उस हालत में उसकी जाती जायदाद भी सहित जो ४', प्रतिशत सालाना से ज़्यादा न होगा, इस कानून के मुताबिक पैतृक ऋण अदा करने के लिए सरकारी खज़ाने में जमा कर दे । (दफा २७) कुर्क कर ली जा सकती है। ___ मान लीजिए कि रईस कर्जदार का ऋण इतना अगर उक्त कर्जदार को कुछ ज़ाती कर्ज देना है, ज़्यादा है कि वह उसकी अरक्षित भूमि की क्रिस्ती कीमत और जिसकी माँग स्पेशल जज के सामने पेश हो गई है, से अदा नहीं हो सकता, लेकिन रक्षित जायदाद की किस्ती तो उस हालत में स्पेशल जज कर्जदार रईस की गैर कीमत और अरक्षित जायदाद की बिक्री की कीमत से पैतृक सम्पत्ति कुर्क कर सकता है और उससे यह कह अदा किया जा सकता है तो कलक्टर लोकल गवर्नमेंट के सकता है अगर तुम यह नहीं चाहते तोनियमों के अनुसार कर्जदार रईस की अरक्षित जायदाद (१) तुम अपनी दरख्वास्त वापस ले लो। के कुछ अंशों को बेच देगा और उसके कर्ज़ का जो (२) अपना ज़ाती कर्ज अदा कर दो। हिस्सा बच जायगा उसे २० बरस में कर्जदार रईस से (३) जो पैतृक सम्पत्ति से फायदा उठा लिया है उसके मालगुज़ारी के साथ वसूल करने का हुक्म देकर महाजनों बदले में रक्कम जमा कर दो। को उनके मतालबे की अदायगी के लिए २० बरस में अगर कोई रईस दरख्वास्त देने के बाद मर जाय अदा होनेवाले गवर्नमेंटी बांड दे देगा। (२८) यह भी और कलक्टर के ज़रिये से क़र्ज़ की अदायगी न हो चुकी हो सकता है कि किसी कर्जदार रईस का ऋण इतना हो तो भी मुकद्दमा ज्यों का त्यों चलेगा गोया रईस ज्यादा है कि रक्षित सम्पत्ति की किस्ती कीमत से और जिन्दा है और उसके वारिसों को उसी की तरह अपनी अरक्षित सम्पत्ति की बिक्री की कीमत से भी अदा नहीं हो जायदाद को रहन या बय करने का हक न होगा। सकता। ऐसी हालत में कलक्टर कर्जदार रईस की दर्जा दो के स्पेशल जज के फैसले की अपील डिस्ट्रिक्ट सम्पूर्ण अरक्षित सम्पत्ति महाजनों को दे देगा और बाकी जज के यहाँ होगी और स्पेशल जज (दर्जा अव्वल) की रकम २० बरस में रक्षित जमीन की किस्ती कीमत से अपील चीफ़ कोर्ट या हाईकोर्ट में होगी। कलक्टर के वसूल कर लेगा। महाजनों को गवर्नमेंटी बांड मिल यहाँ की अपील बोर्ड अाफ़ रेवेन्यू में होगी। जायगा और गवर्नमेंट जमींदार से अपना मतालबा मय (५) संयुक्त-प्रांत का अत्यधिक ब्याज का कानून सूद के मालगुजारी के साथ २० बरस में वसूल करती यह कानून गवर्नर-जनरल द्वारा १० अप्रेल १६३५ रहेगी । (२८) को स्वीकृत हुअा। यह कानून २७ अप्रेल १६३५ ___ अगर कर्ज पुश्तैनी है और पुश्तैनी जायदाद से ही के बाद जो मुकद्दमे दायर होंगे उन्हीं पर लगेगा कानून के मुताबिक वसूल हो सकता है तो इस कानून में और हर एक किस्म के ऋण पर अायद होगा, चाहे वह कोई ऐसी बात नहीं पैदा की गई है जिससे क़ज़ेदार रईस कृषि-सम्बन्धी हो या गैर कृषि-सम्बन्धी। की गैर पुश्तैनी जायदाद ज़ेरबार हो जाय (४६) जिस इस कानून के अनुसार अदालत को यह अखत्यार वक्त से कि क़र्ज़दार रईस ने इस कानून के अनुसार दफ़ा दिया गया है कि किसी मुक़द्दमें में जिसे महाजन ने अपना ४ में दरख्वास्त पेश कर दी और उस वक्त तक कि क़र्ज़ वसूल करने के लिए २७ अप्रेल १६३५ के बाद दायर कलक्टर इस दरख्वास्त के मुताबिक कर्जदार रईस के किया हो या किसी कर्जदार ने महाजन से अपना हिसाब ऋण की अदायगी दफा २७,२८,२६ में वहीं कर लेता, माँगने के लिए चलाया हो या किसी ऐसे मुकदमे में जिस कर्जदार रईस न तो खुद दिवालिया होने की दरख्वास्त पर “अत्यधिक ब्याज का कानून" लगता हो; अगर अदादे सकता है और न कोई दूसरा । (४८) अगर कर्जदार लत को प्रतीत हो कि उक्त मामले में ब्याज अत्यधिक है या Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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