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________________ १२८ सरस्वती [ भाग ३६ (३) महाजनों का नाम व पता (दफ़ा ७)। इस नये कानून के मुताबिक ३१ दिसम्बर १६१६ तक ऋणी का हल्फ़िया बयान लेकर स्पेशल जज गज़ट जितना मूलधन और सूद इकजाई करके मूलधन बना में उर्दू और हिन्दी में इन बातों का प्रकाशित करा देगा दिया गया है वह तो कायम रहेगा, लेकिन ३१ दिसम्बर और जिन महाजनों का कर्ज़ है उन्हें तलब करेगा सन् १६१६ के बाद अगर किसी महाजन ने मूलधन और और उनसे ३ महीने के अन्दर सारे कर्ज़ के सम्बन्ध में सूद इकजाई करके रकम पर सूद चलाया है या किसी डिगरी चाहे उन कों के बारे में डिगरी मिल चुकी हो या न मिल में इस प्रकार चलाया गया है तो वह मूलधन नहीं माना चुकी हो, तहरीरी बयान दाखिल करने को कहेगा । (5) जायगा । जोड़े हुए सूद की रकम अलग कर दी जायगी गज़ट में नोटिस निकल जाने के बाद अगर उस और मूलधन बढ़ा कर ज़्यादा वसूल की हुई रकम असल जमींदार के ऊपर कर्ज के मुताबिक कोई दावा कहीं किसी की अदायगी में समझो जायगी। इस कानून ने ३१ दूसरी अदालत में भी होगा तो वह रुक जायगा, और अगर दिसम्बर १६१६ के बाद सूद की इकजाई रकम को असल डिगरी इजरा भी हो गई है तो वह भी खत्म हो जायगी। में बदल देने की प्रथा को नाजायज़ कर दिया है। महाजन के अपने मतालबे के सम्बन्ध में जितने कर्ज़ निम्नलिखित क्रम से अदा किया जायगादस्तावेज़ होंगे उन्हें उसे स्पेशल जज के यहाँ दाखिल सबसे पहले लगान व मालगुजारी अदा की जायगी। फिर कर देना होगा। (१०) अगर किसी महाजन ने नियत गवर्नमेंट या म्युनिसिपल और डिस्ट्रिक्ट बोर्ड का दिया समय के अन्दर दस्तावेज दाखिल न किये तो मुकद्दमे के हुअा क़र्ज़ । फिर कर्ज या ज़मानत । उसके बाद वह कर्ज मौके पर जज उन काग़ज़ों को शहादत में ले चाहे न ले। जो दिये हुए सामान या की हुई सेवाओं के लिए दिया ३० अप्रेल १६३५ के बाद और जज के यहाँ दफ़ा गया हो । (४) के अनुसार दरख्वास्त देने के बीच अगर कोई व्योरा यह है कि जब स्पेशल जज किसी कर्जदार रईर ज़मींदार अपनी ज़मीन रहन करे या बेच देगा तो वह के क़र्ज़ के सम्बन्ध में उसकी और महाजन की सारी बात रहन और बय मन्सूख समझा जायगा। (१२) सुन लेगा और पक्ष और विपक्ष की सारी युक्तियों प __ अगर कोई महाजन अपने क़र्ज़ का मतालबा स्पेशल विचार कर चुकेगा उस समय वह फैसला देगा कि उत्त जज के सामने इस कानून में बताये हुए तरीके से पेश ज़मींदार को वास्तव में कितना रुपया देना है । उस नहीं करता (चाहे उस क़र्ज़ के सम्बन्ध में उसके पास कर्जदार पर उतने रुपये की डिगरी करके स्पेशल जज डिगरी ही क्यों न हो) तो वह उस रकम को ऋणी से डिगरी को इजराई के लिए कलक्टर के पास भेज देगा वसूल न कर सकेगा और ऋणी का वह कर्ज़ अदा समझा और उसे इस बात की भी सूचना दे देगा कि उक्त कर्ज जायगा। (१३) दार रईस के पास कितनी जायदाद है जो, क़र्ज़ के ___ मतालबे के बारे में महाजनों को नोटिस देने के बाद • अदायगी में कुर्क, रहन या बय की जा सकती है ( दफा पक्ष और विपक्ष के गवाहों और प्रमाणों को अच्छी तरह १६)। कलक्टर स्पेशल जज की डिगरी को पाकर क़र्ज़दार देख-सुन कर स्पेशल जज हर एक महाजन का मतालबा को दो महीने की मियाद देगा कि इसके अन्दर वह मतातय करेगा। (१४) डिगरी देने में स्पेशल जज अत्यधिक लबे का रुपया कलक्टर की अदालत में जमा कर दे और ब्याजी कानून के अनुसार चलेगा, और इस बात का कर्ज से छुट्टी पा जाय । स्पेशल जज के फैसले के बाद ख्याल रक्खेगा कि अर्जी देने के दिन सूद की मात्रा उस एक महीने के अन्दर अगर कोई दरख्वास्त देनेवाला दिन तक बाकी मूलधन से ज्यादा न हो । अर्थात् प्रसिद्ध अर्थात् कर्जदार चाहे तो स्पेशल जज के फैसले को मन्सूख हिन्दू-स्मृतिकार दंडूपंत के सिद्धान्त के अनुसार काम कराने के लिए दरख्वास्त दे सकता है। ऐसी हालत में करेगा। अदालत विपक्षी का अदालती खर्च दिलाकर स्पेशल Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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