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________________ संख्या २] क़र्ज़-सम्बन्धी कानून - १२७ गाँव की बिक्री की कीमत १०,०००) नहीं, बल्कि १५,०००) तान में एक निश्चित रकम निश्चित समय पर मुरसमझी जायगी। तहिन को अदा करता रहेगा। अगर राहिन अपने 'क्रिस्ती कीमत' व 'बिक्री की कीमत' कलक्टर गवर्न- वादे के अनुसार मूलधन और ब्याज का भुगतान मेंट-द्वारा बनाये हुए नियमों के अनुसार तय करेगा। नहीं करता तो मुरतहिन कलक्टर के यहाँ दरख्वास्त तीसरा शब्द है 'रक्षित भूमि' । इस प्रान्त में दो देकर रहन की हुई भूमि पर ऐसी मियाद के लिए कानून हैं-एक का नाम '१६१७ का अवध सेटेल्ड कब्ज़ा माँग सकेगा जिसे कलक्टर कर्ज़ की अदास्टेट्स एक्ट' है और दूसरे का नाम '१९२० का यू० पी० यगी के वास्ते मुनासिब समझे । किन्तु यह मियाद सेटेल्ड स्टेट्स एक्ट' है। संयुक्त-प्रान्त में अगर कोई २० वर्ष से ज्यादा नहीं हो सकती। अगर कलक्टर ज़मींदार या तालुकदार चाहे तो वह अपनी रियासत इन ने मुरतहिन की दरख्वास्त पर किसी मियाद के लिए · कानूनों की मदद से 'रक्षित' करा सकता है। रक्षित हो ज़मीन पर कब्जा दे दिया तो यह ज़मीन मुरतहिन के जाने पर उसकी रियासत को उसके वंशज साधारणतः कब्ज़े में केवल निश्चित समय तक के लिए ही न तो बेच सकेंगे न रहन कर सकेंगे। रहेगी। उसके बाद वह जमीन कर्जदार को वापस ___'अरक्षित भूमि' वह है जो इन ऊपर बताये हुए दोनों मिल जायगी और राहिन का ऋण पूर्णरूप से चुकता कानूनों के मुताबिक 'रक्षित' नहीं की गई है। समझा जायगा। राहिन उसे कहते हैं जो अपनी जमीन दूसरे के यहाँ इस कानून के पास हो जाने से ऐसे ज़मींदारों को रहन अर्थात् बन्धक रखता है । मुरतहिन वह महाजन है जिनकी रियासत कर्ज़ से दबी हुई है, यह अधिकार मिल जिसके यहाँ ज़मीन रहन रक्खी जाती है। इस कानून में गया है कि ३० अप्रेल १६३६ से पहले अपने जिले के दो किस्म के रहन जायज माने गये हैं। उनका मसविदा कलक्टर के यहाँ इस कानून के मुताबिक अपने ऋण को - निम्नलिखित है चुकाने के लिए दरख्वास्त दें। दरख्वास्त में यह जाहिर रहन नं० १-इसमें रहन करनेवाला रहन की हुई ज़मीन करना होगा कि उनके ऊपर कितना महाजनी कर्ज है का मालिकाना कब्ज़ा मुरतहिन को दे देता है और और कितना सरकारी कर्ज़ है। कितने कर्ज़ की डिगरी हो उसको अधिकार देता है कि वह ब्याज के बदले में गई है और कितना कर्ज़ अभी तक बिना डिगरी का है। और मूलधन के भुगतान में उस भूमि का लगान उस दरख्वास्त पर कलक्टर 'ऋणग्रस्त जमींदारी कानून' और मुनाफ़ा वसूल करता रहे । लेकिन मुरतहिन यह के अनुसार उसकी रियासत का कर्ज अदा करने का मुनाफ़ा एक मियाद तक ही ले सकता है और वह इन्तजाम करेगा । (४) कलक्टर के पास अर्जी आने पर मियाद २० वर्ष से अधिक न होगी। इस मियाद वह इस अर्जी को स्पेशल जज के पास भेज देगा, जिसे के समाप्त होने पर राहिन का ऋण पूर्णरूप से गवर्नमेंट स्थान स्थान पर नियत कर चुकी होगी। स्पेशल भुगता हुआ समझा जायगा और भूमि बिना जज दरख्वास्त देनेवाले ऋणी को तलब करेगा। उससे कुछ और दिये हुए वापस मिल जायगी अर्थात् तहरीरी बयान माँगेगा और निम्नलिखित बातें दरयाफ्त महाजन बिना किसी और वसूलयाबी के उस ज़मीन करेगाको वापस कर देगा। (१) सरकारी और महाजनी ऋण का सम्पूर्ण ब्योरा, रहन नं० २–बिना कब्ज़े का रहन होगा। इसमें रहन जिससे उस जमींदार या मालिक श्राराजी की स्थावर रखनेवाला ऋण की जमानत में अपनी किसी ज़मीन सम्पत्ति या सम्पत्ति का कुछ अंश दबा है। को मकबूल करेगा, लेकिन कब्ज़ा न लेगा। राहिन (२) ज़मीन में मालिक अाराज़ी का हक कितना है और यह वादा करेगा कि मूलधन और ब्याज के भुग- . किस प्रकार का है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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