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________________ स्वराज्य क्या है ? Shree लेखक, श्रीयुत भाई परमानंद, राज्य' शब्द ऐसा आम हो गया है कि हमको कभी ख़याल भी नहीं आता कि जरा इसका वास्तविक अर्थ समझने का प्रयत्न करें । इस समय यदि किसी बच्चे से भी पूछा जाय तो वह कह देगा कि हम स्वराज्य प्राप्त करना चाहते हैं। उसने अपने मन में स्वराज्य का कोई-न-कोई चित्र भी ज़रूर बना रक्खा होगा । परन्तु वह चित्र कोई हक़ीक़त रखता है या सिर्फ खयाल है, यह बात वह बच्चा नहीं जानता । पाठक यह सुन कर हैरान हो जायेंगे अगर मैं यह कह दूँ कि कांग्रेस और हिन्दू महासभा के बीच में भेद या ग़लतफ़हमी का कारण ही यह है कि यद्यपि दोनों स्वराज्य प्राप्त करना चाहते हैं, तथापि वास्तव में वे स्वराज्य को एक-दूसरे से सर्वथा भिन्न समझते हैं। यदि आज हम इस बात का फ़ैसला कर लें कि स्वराज्य किसे कहते हैं तो हमारे बहुत-से पारस्परिक मतभेद तुरन्त दूर हो जायँ । 'स्वराज्य' का शाब्दिक अर्थ 'अपना राज्य' या 'सेल्फ-गवर्नमेंट' है । राज्य-शब्द के प्रयोग में भी बहुत ९८ श्रीभाई जी हिन्दुत्रों के एक परम आदरणीय नेता हैं । कांग्रेस से आपका मतभेद है और उस मतभेद को आपने सदैव ज़ोर के साथ प्रकट किया है । स्वराज्य किसे कहते हैं ? इस प्रश्न का श्राप कांग्रेस से भिन्न उत्तर रखते हैं। इस लेख में आपने अपने उसी भिन्न दृष्टिकोण को स्पष्ट किया है । एम० ए०, एम० एल० ए० 'स्व मतभेद हो सकता है । एक मनुष्य 'राज्य' का अर्थ राजसत्तात्मक गवर्नमेंट करता है तो दूसरा इसका अर्थ प्रजासत्तात्मक गवर्नमेंट समझता है। एक भारतीय ब्रिटिश साम्राज्य के अंतर्गत रहते हुए 'सेल्फ-गवर्नमेंट' को स्वराज्य कह देता है तो दूसरा इसके अर्थ ब्रिटिश गवर्नमेंट से स्वतंत्र होना समझता है। विधायक रूप के संबंध में इस प्रकार के भेद-भाव हमारे दर्मियान हो सकते हैं, परन्तु जिस भेद को मैं यहाँ प्रकट करना चाहता हूँ वह स्वराज्य- शब्द के पहले भाग 'स्व' के सम्बन्ध में है । 'स्व' का अर्थ 'अपना' या 'सेल्फ' है । परन्तु तुरन्त ही यह प्रश्न उठता है कि 'अपना' - शब्द में हम किसको सम्मिलित करते हैं। हमारे कुछ भाई तो यह कह देंगे कि इस प्रश्न के हल करने में दिक्कत ही क्या है; 'अपना' - शब्द में वे सब लोग शामिल हैं जो इस देश में रहते हैं । परन्तु मैं इस प्रश्न को इतना आसान नहीं समझता । मैं यह पूछूंगा कि अगर इंग्लैंड की गवर्नमेंट यहाँ भारत में कोई ऐसा वाइसराय भेज दे जो यहाँ आकर हमेशा के लिए. आबाद हो जाय और अपने शासन के रक्षार्थ समय समय पर इंग्लैंड से अपने आदमियों को बुलाता रहे तो क्या वह राज्य हमारे लिए 'स्वराज्य' होगा या नहीं ? कुछ सज्जन कह देंगे कि " Thai Sahin.
SR No.035248
Book TitleSaraswati 1935 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevidutta Shukla, Shreenath Sinh
PublisherIndian Press Limited
Publication Year1935
Total Pages630
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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