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________________ .................. . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .... . . . . . . ..... .......... ....... . ................................ .... . ..... . r ...............................nu . . . . . . . . . . .. . . . . . . . . . . .. . . .. . . . . . ...... ..... . . . . . .. . . . . . . . . . . www.umaragyanbhandar.com स्वर्गीय सेठ किसनदास पूनमचन्दजी कापडिया प्रकाशक। स्मारक ग्रन्थमाला नं० २ वीर सं० २४६० में हमने अपने पूज्य पिताजीके अंत समय पर २०००) इस लिये निकाले थे कि इस रकमको स्थायी रखकर उसकी मायमेंसे पूज्य पिताजीके स्मरणार्थ एक स्थायी ग्रंथमाला निकालकर उसका सुलभ प्रचार किया जाय । इस प्रकार इस स्मारक प्रन्थमालाकी स्थापना वीर सं० २४६२ में की गई और उसका प्रथम ग्रन्थ "पाततोद्धारक जैन धर्म" प्रकट करके 'दिगम्बर जैन ' के २९ वें वर्षके प्राहकोंको भेट किया गया था और इस मालाका यह दूसरा प्रन्थ “संक्षिप्त जैन इतिहास" तीसरे भागका दूसरा खंड प्रका किया जाता है और यह भी 'दिगम्बर जन' के ३१वें मूलचन्द किसनदास कापडिया, ऐसी ही अनेक स्मारक ग्रंथमालाएं जैन समाजमें स्थापित वर्षके ग्राहकोंको भेट दिया जाता है । हों ऐसी हमारी हार्दिक भावना है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat ... . .
SR No.035246
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1938
Total Pages192
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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