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________________ - दक्षिण भारतका ऐतिहासिक काल। [६७ कालके वर्णनमें उसका प्राचीन इतिहास लिखना अभीष्ट है । इसे हम भगवान् अरिष्टनेमिके वर्णनसे प्रारम्भ करेंगे भौर भ० महावीर के उपरांत उसके दो भाग कर देंगे, क्योंकि सुदूर दक्षिण भारतकी ऐतिहासिक घटनायें विन्ध्याचलके दक्षिणस्थ निकटवर्ती भारतसे भिन्न रही हैं। पहले · दक्षिणापथ' का ऐतिहासिक वर्णन निम्नलिखित छः कालोंमें विभक्त होता है (१) आन्ध्रकाल-ईस्वी पांचवीं शताब्दि तक । (२) प्रारम्भिक चालुक्य-(ईस्वी ५ वीसे ७वीं शताब्दि) एवं राष्ट्रकूट काल ( ७ वींसे १३ वीं शताब्दि तक ) (३) अन्तिम चालुक्य काल-(१० वीसे १४वीं श०) (४) विजयनगर साम्राज्य काल । (५) मुसलमान मराठा काल । (६) और ब्रिटिश राज्य । इसीके अनुसार सुदुरवर्ती दक्षिण भारतके निम्नलिखित छै काल होते हैं: (१) प्रारम्भिक काल-ईस्वी पांचवीं शताब्दि तक। (२) पल्लव काल-ईस्वी ५ वींसे ९ वीं शताब्दि तक । (३) चोल प्राधान्य काल-ई० ९वींसे १४वीं शतक । (४) विजयनगर साम्राज्य काल-ई० १४ वींसे १६ वीं शताब्दि तक। (५) मुसलमान-मराठा काल-ई० १६वींसे १८ वी शताब्दि तक। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035245
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1937
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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