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________________ [24] रथा ० = रत्नकरण्ड श्रावकाचार सं० पं० जुगल किशोरजी (बम्बई) शइ० - राजपूतानेका इतिहास भाग १ - रा० ब० पं० गौरीशंकर हीराचंद ओझा । रिइ० = रिलिंगस ऑफ दी इम्पायर -- ( लन्दन ) । लाभाम•=ठाइफ ऑफ महावीर का० माणिकचंद्रजी (इलाहाबाद ) । कामाई ० = भारतवर्षका इतिहास छा० काजपतरायकृत (लाहौर)। लाम० कार्ड महावीर एण्ड मधर टीचर्स ऑफ हिज टाइमकामताप्रसाद (दिल्ली ) । 0= ढावबु० = लाइफ एण्ड वर्कस ऑफ बुद्ध घोष - डॉ० विमलाचरण कॉ ( कलकत्ता ) । लामने ० कार्ड परिष्टनेमि, (दिल्ली ) । : G - बृजेश० बृहद् जैन शब्दार्णव- पं० बिहारीलाल चैतन्य । विर० = विद्वद् रत्नमाला पं० नाथूरामजी प्रेमी ( बम्बई ) । विभा०-विशालभारत, सं० श्री बनारसीदास चतुर्वेदी कळकत्ता | श्रव०-श्रवणबेळगोळा, रा० ब० प्रो० नरसिंहाचार एम० ए० ( मद्रास ) । श्रेच० = श्रेणिक चरित्र ( सूरत ) । समामिवा ० = तर माशुतोष मोरियल वॉल्यूम ( पटना ) । 1 सकौ ० = सम्यक्त्व कौमुदी ( बम्बई ) । सजै० = सानतन जैन धर्म - अनु०कामताप्रसाद ( कलकत्ता ) । संजैइ० - संक्षिप्त जैन इतिहास प्रथम भाग कामताप्रसाद (सूरत) सडिजे ० =सम डिस्टिन्गुइझ्ड जेन्स उमरावसिंह टांक (आगरा) । संप्राजेस्मा ० = संयुक्त प्रांतके प्राचीन जैन स्मारक - ब्र० शीतल । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035245
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 03 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1937
Total Pages174
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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