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संक्षिप्त जैन इतिहास। अयोग्य होनेके कारण बलख (बैक्ट्रिया ) और पार्थियावाले सन् २५० ई० पू० के लगभग उससे स्वाधीन होगये। भारती सीमापर सिकन्दरके पश्चात् इन यूनानियोंके हमले बराबर होते रहे थे, किन्तु सिल्यूकसके बाद पहला यूनानी राजा जिसने पंजाबपर हमला किया डिमिटीअस था । डिमिट्रीअसने अपना अधिकार मथुरा तक जमा लिया था और वह मगधको भी सर करना चाहता था; किंतु सम्राट खारवेलके भयसे वह मथुरा छोड़कर चला गया था ।* फलतः यूनानियोंका भारतीय सीमा पंजाब व सिंधुपर अधिकार होगया था। इनमें मेनेन्डर नामका राजा बहुत प्रसिद्ध था । सन् १६० ई० पू०से सन् १४० ई० पू० तक वह काबुलका शासक था। उसने सन् १५५ ई० पू० के निकट भारतपर चढ़ाई की थी। मि० स्मिथने इस घटनाका समय ई० पू० १७५ माना है। मेनेण्डर (मनेन्द्र) या मिलिन्दका जन्म सिंधुनद-वर्ती प्रदेशमें
अर्थात् 'द्वीप अलसन्द जिसे यूनानी अलेराजा मेनेन्डर व कजिन्ड्रिया कहते थे, वहां हुआ था । उत्तर जैनधर्म पश्चिमी भारतपर विजय प्राप्त करके मेनेन्डरने
पंजाबके साकल (स्यालकोट) नगरमें अपनी राजधानी स्थापित की थी । साकल उस समय बड़ा समृद्धिशाली नगर था। जैनधर्मका प्रचार भी वहां विशेष था । बौद्ध-धर्म वहां उस समयके बारह वर्ष पहलेसे नहीं था। बौद्ध भिक्षु नागसेनने
१-भाइ० पृ० ७७. * जविमोसो० भा० १६ पृ० २५८. २भातारा० भा० २ पृ० १८८. ३-पूर्व० पृ० १८९. ४-मिलिन्द. पृ० १०.
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