SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 190
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवान महावीरका निर्वाणकाल। [१६९ उपरोक्त सबही उल्लेखोंमें प्रायः भगवान महावीरसे ४७० वर्ष बाद विक्रमरानाका जन्म होना लिखा है और वर्तमान विक्रम संवत उनके राज्यकालसे चला हुमा मिलता है। यही कारण है कि वसुनंदि श्रावकाचारमें विक्रमसंवतसे ४८८ वर्षपूर्व वीरनिर्वाण हुआ निर्दिष्ट किया गया है क्योंकि विक्रमके जन्मसे राज्याभिषेकको कालान्तर १८ वर्षका माना जाता है । इस अवस्थामें प्रचलित वीरनिर्वाण संवत्का संशोधन होना आवश्यक प्रतीत होता है। शायद उपरोक्त प्रमाणों में नं० ४ पर आपत्ति की जाय, जिसमें वीरनिर्वाणसे ४७० वर्ष बाद शकरानाका राज्यान्त होना लिखा है। किन्तु यह बात ठीक नहीं है। यहांपर शकरानासे भाव शकारिराना विक्रमादित्यसे प्रगट होता है। डॉ. जैकोबी भी यही बात प्रगट करते हैं। यदि ऐमा न माना जाय और शकराना भाव शक संवत् प्रवर्तकके लिये जाय, तो उक्त गणनाके अनुसार चंद्रगुप्त मौर्यका अभिषेक काल ई० पूर्व १७७ वर्ष भाता है और यह प्रत्यक्ष बाषित है । साथ ही उपरोक्त गाथाओंका गणनाक्रम आपत्तिजनक है, जैसे हमने अन्यत्र प्रगट किया है। मालूम होता है कि विक्रमसे ४७० वर्ष पूर्व वीर निर्वाण बतलाने के लिए श्वेतांबराचार्योंने अपने मनोनुकूल उक्त गाथाओंका निरूपण कर दिया है। इस दशामें यह नहीं कहा जासक्ता कि उनको विक्रमके जन्म राज्य अथवा मृत्युसे ४७० वर्ष पूर्व बीर निर्वाण मान्य था। किन्तु भवशेष मतों के समक्ष विक्रमके जन्मसे ४७० वर्ष पूर्व वीरनिर्वाण हुमा मानना ठीक है। १-मदनकोष व भाप्राए । २-जैसा सं० । ३-वीर, वर्ष ६.। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035243
Book TitleSankshipta Jain Itihas Part 02 Khand 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1932
Total Pages322
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy