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१६० ] संक्षिप्त जैन इतिहास ।
(४) विक्रमाब्दसे ५५० वर्ष पहले महावीरनी मोक्ष गये। (५) शकाब्दसे ७४१ वर्ष पहले वीर भगवानका निर्वाण हुआ।
(६) विक्रम राजाके जन्मसे ४७० वर्ष पहले महावीरस्वामी मुक्त हुये।
प्रथम मतके अनुमार वीर-निर्वाणको माननेपर प्रश्न होता है कि यह शक राजा कौन था? इस मतका प्रतिपादन 'त्रिलोकप्रज्ञप्ति में निम्न गाथाओं द्वारा हुआ है:
"णिव्वाणगदे वीरे चउसदइगिसहि वासविच्छेदे । जादो च सगणरिंदो रज्जं वस्सस्स दुसय वादाला ॥३॥ दीणि सदा पणवण्णा गुत्ताणं चउमुहस्स वादाले । बस्सं होदि सहस्सं केई एवं परूवति ॥ ६४ ॥"
मर्थात्-'वीर निर्वाणके ४६१ वर्ष बीतनेपर शक राजा हुमा और इस वंशके राजाओंने २४२ वर्ष राज्य किया। उनके बाद गुप्तवंशके राजाओंका राज्य २५५ वर्षतक रहा और फिर चतुर्मुख (कलिक) ने ४२ वर्ष राज्य किया। कोई २ लोग इस तरह एक हजार वर्ष बतलाते हैं। इन गाथाओंके कथनसे यह स्पष्ट है कि गुप्तवंशके पहले
भारतमें जिस शकवंशका अधिकार था, प्रथम मतपर विचार।
' उपमें ही यह शक राजा हुआ था। और उसका उल्लेख जैन ग्रन्थों में खूब मिलता है, इसलिये उसका सम्पर्क जैनधर्मसे होना संभव है । दंतकथाके अनुसार शक संवत् प्रवर्तक रूपमें यह राजा जैन धर्ममुक्त प्रगट है। किंतु आधुनिक विद्वानोंका इस शकरानाको शक संवत् प्रवर्तक मानना कुछ ठीक नहीं जंचता।
यदि उनकी द्वितीय मतके अनुसार ६०५ वर्ष ५ मास धीरनिर्वाShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com