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चतुर्थ परिच्छेद ।
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केवलबान शाम हुआ था। तत्पश्चात् विहार करके आपने धर्मोपदेश दिया था और चैत्र सुदी षष्ठीको सम्मेदशिखर पर्वतसे आप मोक्ष गए थे। आपके भी वह सब विशेष बातें हुई थीं जो पहिलेके तीर्थकरोंके हुई थीं।
इसके दस करोड़ सागरके बाद चौथे तीर्थकर अभिनन्दनका जन्म हुआ था। भगवान अभिनन्दन वैशाख सुदी छठको सिद्धार्था मांताके गर्भमें आकर माघ सुदी १२ के दिन जन्मे थे। आपके पिता संवर इक्ष्वाक वंशके काश्यपगोत्री अयोध्याके राजा थे। युवा होनेपर आपने राज्य प्राप्त किया था और नीतिपूर्वक राज्य करके आपने माघ सुदी वारसको दीक्षा धारण की थी। दो दिन उपवासके बाद अयोध्यामें इन्द्रदत्त राजाके यहां आहार लिया था। पौष सुदी चौदसके दिन अठारह वर्ष तप तपकर आप केवलज्ञानी हुए थे। फिर विहार और धर्मोपदेश देकर वैशाख सुदी छठको आप सम्मेदशिस्वरसे मोक्ष पधारे थे। आपके भी तीन ज्ञान जन्मसे होना, देवोंका पंचकल्याणक मनाना आदि विशेष बातें सब तीर्थकरोंकी तरह हुई थीं।
पांचवें तीर्थकर सुमतिनाथ श्रावण सुदीदोजको अयोध्याके राजा मेरथकी रानी मंगलादेवीके गर्भ में आकर चैत्र सुदी ११ को उत्पन्न हुए थे। आपने राज्य पाकर अपनी पत्नीके साथ भोग भोगकर वैशाख सुदी नौमीको दीक्षा धारण की थी। दो दिनका उपवास करके आपने सौमनसपुरके पद्मभूपके यहां आहार लिया था। वीस वर्ष तपश्चरण कानेके पश्चात् आपको चैत्र 'सुदी म्यारसके दिन केवलज्ञान प्राप्त हुमा था। आपने विहार करके चैत्र सुदी ग्यारसको सम्मेदशिखासे मोक्ष
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