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१ भूमिका - ( प्रो० हीरालालजी )
२- प्रस्तावना
विषय-सूची ।
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जैनधर्मकी ऐतिहासिक प्राचीनता ।
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ऐतिहासिक कालके पहले जैनधर्म क्या जैनी भारतके मूल निवासी थे ? जैन दर्शन, आर्य दर्शन है व जैनी आर्य हैं
पूर्वी आर्य म्लेच्छ और प्राचीन आर्य । वेदों में यज्ञ विषय पहले नहीं था । आर्य व अनार्य । भारतकी जातियां, भाषाएं, धर्म । इतिहासकी आवश्यकता | जैन इतिहासके काल - विभाग ।
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३ - पहला परिच्छेद
जैन भूगोलमें भारतवर्षका स्थान | भारतवर्षका संक्षिप्त विवरण ।
४- द्वितीय परिच्छेद
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७- पंचम परिच्छेद
आपवेद अर्थात् द्वादशांग वाणी । ८- षष्ठम परिच्छेद
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भारतकी जन संख्या ।
भारतकी प्राचीन अर्वाचीन आकृति । भारत के प्राचीन प्रदेश व नगर ।
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५- तृतीय परिच्छेद
भगवान ऋषभदेव और कर्मभूमिको प्रवृत्ति । ६-चतुर्थ परिच्छेद–
अवशेष तीर्थङ्कर और अन्य महापुरुष ।
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Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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भरतक्षेत्रमें समयचक्र और भोगभूमिका काल |
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आपवैदिक धर्म अर्थात् जैनधर्म और उसकी सभ्यता -
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