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संक्षिप्त जैन इतिहास प्रथम भाग ।
(१) उत्तरीय भारत—इसमें संपूर्ण पंजाब विशेष, काश्मीर तथा
अन्य निकटवर्ती पहाड़ी राज्य सिन्धु नदीके पार सम्पूर्ण पूर्वी अफगानिस्तान और वे सब देशी राज्य हैं जो सरस्वती नदीके
पश्चिममें स्थित हैं। (२) पश्चिमी भारत-अर्थात् सिंधुदेश, पश्चिमी राजपूताना,
थोड़ासा गुजरात तथा कुछ भाग उस प्रदेशका जो नर्मदा नदीके
नीचले भागमें स्थित है। (३) मध्य भास्त ---इसमें वह सम्पूर्ण प्रदेश मिला. हुआ था जो
गङ्गा नदीके किनारों पर स्थित है अर्थात् थानेश्वरसे लेकर द्वीप ( डेल्टा ) के मुहाने तक और हिमालय पर्वतसे लेकर
नर्मदा तक। (४) पूर्वी भारत—अर्थात् आसाम, बंगाल, गंगाके त्रिकोण द्वीपकी
भूमि, सम्भलपुर, उड़ीसा और गंजाम तक । (५) दक्षिणी भारत-अर्थात् सम्पूर्ण दक्षिण, पश्चिममें नासिक
तक, पूर्वमें गंजाम तक, दक्षिणमें कुमारी अन्तरीय तक । इसमें वर्तमान बरार, तैलङ्ग; महाराष्ट्र, कोंकण. हैदराबाद, मैसूर और ट्रावणकोर मिले हुए थे, अर्थात् वह सम्पूर्ण प्रदेश जो नर्मदा
और महानदीके दक्षिणमें स्थित है।
उस प्राचीन समयके कतिपय बड़े बड़े नगरोंके नाम और स्थान इसप्रकार बतलाए जाते हैं:
सक्षमिला-सुआन नदीके समीप हसन अबदाल और जेहलमके बीच था। बहुत सम्भव है कि इस नगरकी स्थिति वैसी ही
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