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[१४] सिन्धु ॥ ये दोनों नदियां हिमवत पर्वतपरके एक ही 'पद्म' नाम सरोवरसे निकलती हैं । गंगा पूर्वकी ओर वहती हुई पूर्वीय समुद्रमें गिरती है और सिन्धु पश्चिमकी ओर वहती हुई पश्चिम समुद्रमें गिरती है । कुलकरों और तीर्थकरों का जन्म गंगा और सिन्धुके बीचके प्रदेशोंमें ही हुआ था। यह वर्णन किसी प्रकार गलत नहीं कहा जा सकता। प्रस्तुत ग्रन्थ । ___ इस थोडेसे विशदीकरणके साथ मैं इस — संक्षिप्त जैन इतिहास' को सहर्ष पाठकोंके हाथमें देता हूं। यदि इस स्पष्टीकरणको ध्यानमें रखकर पाठक इस पुस्तकको पहेंगे तो मुझे आशा है कि वे इसका इतिहासकी दृष्टिसे आदर करेंगे । लेखकने इसे अच्छे परिश्रमसे लिखा है । लेखककी प्रस्तावना ध्यानपूर्वक पढ़नेयोग्य है । भारी आवश्यकता।
यह जैनियों के पूर्ववर्ती काल का इतिहास संकलित होगया । अव ऐतिहासिक कालके अर्थात् श्री महावीरस्वामीसे लगाकर अबतकके इतिहास संकलनकी बड़ी भारी आवश्यकता है। यह कार्य बडे ही महत्व, पर साथ ही बडे ही परिश्रमका है। इसके लिये केवल एक व्यक्ति का प्रयास सर्वथा पर्याप्त नहीं है। इस कार्यमें भारतके सभी इतिहासप्रेमियों विशेषतः जैन इतिहासके रुचियों को पूरा २ योग देना चाहिये। सबसे प्रथम भिन्न भिन्न प्रान्तोंमें भिन्न २ शताब्दियोंमें जैनियोंकी राजनैतिक सामाजिक धार्मिक
आदि परिस्थितियोंपर खोजपूर्ण ऐतिहासिक निवन्ध लिखे जाना चाहिये। इस प्रकार जब विषयकी पूरी २ छानबीन हो जाय तब ही सन्तोषप्रद इतिहास संकलित किया जा सकता है। यदि इतिहास-प्रेमियोंने इस ओर ध्यान दिया तो यह कार्य भी शीघ्र ही पूरा हो जायगा । ___ अमरावती
इतिलं विबुधेबुकिंग एडवर्ड कॉलेज १४ जनवरी १९२६ ।
-हीरालाल जैन ।
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