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___... पंचम परिच्छेदः ।
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लताका वर्णन है। अर्थात् इसमें कर्म-सिद्धान्तका वर्णन किया है। इसमें १८४,००,००० मध्यम पद हैं।
(१२) दृष्टिप्रवादाङ्गमें १०८,६८,५६,००५ मध्यम पद हैं और यह पांच भागोंमें विभक्त है। अर्थात् ५ परिक्रमा, सूत्र, प्रथमानुयोग, १४ पूर्वगत और ५ चूलिका । इन पांच भागोंका वर्णन इस प्रकार हैपांच परिक्रमाः
(१) चन्द्रप्रज्ञप्ति परिक्रमामें चन्द्रमाकी चाल गति आदिका वर्णन है। इसके ३६,०५,००० मध्यम पद हैं।
(२) सूर्यप्रज्ञप्तिमें सूर्य सम्बन्धी सर्व बातोंका समावेश है। इसके ५०३००० पद हैं।
. ( ३ ) जम्बूद्वीप प्रज्ञप्तिमें जम्बूद्वीपका संपूर्ण भौगोलिक वर्णन है। मध्यम पद ३२५००० हैं ।
(४) द्वीपप्रज्ञप्तिमें समस्त द्वीप क्षेत्रों. समुद्रों, भवन, व्यंतर, ज्योतिष देवोंके स्थानों एवं जैन मंदिरोंके स्थानोंका विवरण है। इसमें ५२,३६,००० मध्यम पद हैं।
(५) व्याख्याप्रज्ञप्ति परिक्रमाके मध्य जीव, अजीव आदि नव पदार्थोंका संख्यात्मक वर्णन है। इसमें ५२,३६,००० मध्यमपद हैं।
सूत्र-इसमें ३६३ मिथ्या मतों (दर्शनों) का वर्णन है। उन मतोंके आत्मा सम्बन्धी सिद्धान्तों पर विवेचन किया गया है और
आत्माका यथार्थ वैज्ञानिक स्वरूप दर्शाया गया है। इसमें ८८,००, .००० मध्यम पद हैं।
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