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९०] संक्षिप्त जैन इतिहास प्रथम भाग । एवं आप दो मास तक संयमी रहे थे। दीक्षाके तीसरे दिन आपने वर्धमानपुरके राजा धर्मसिंहके यहां प्रथम आहार लिया था । मिती चैत्र वदी अमावस्याके दिन आपको केवलज्ञानका लाभ हुआ था। तत्पश्चात् आपने अपने विहार और धर्मोपदेशसे अज्ञान अन्धकारको मेटा था। चैत्रकी अमावस्याके दिन आप सम्मेदशिखरसे मोक्ष पधार थे। आपके विषयमें भी वह सब विशेष बातें समझना चाहिये, जो प्रत्येक तीर्थकरके समय होती हैं। इनके समयमें चौथे नारायण पुरुषोत्तम और बलदेव सुप्रभ हुए थे।
____ पश्चात् भगवान धर्मनाथ १५ वें तीर्थकर हुए । इनके पिता रत्नपुरके गजा भानु थे। इनकी रानी सुव्रता आपकी माता थी। इन्हीके गर्भसे आपका जन्म माघ सुदी तेरसके दिन हुआ था। आपने विशेष समय तक राज्य भोग करके मिती माघ सुदी त्रयोदशीको दिगम्बर दीक्षा धारण की थी। आपका प्रथम पारणा सौमनसपुरमें राजा सुमित्रके यहां हुआ था । आप एक मास तक संयभी रहे थे. पश्चात् मिती पौष सुदी पूर्णमासीको आपको केवलज्ञान उत्पन्न हुआ था और आपने पृथ्वीपर विहार कर धर्मोपदेश दे, मिती जेठ सुदी चौथके दिन श्री सम्मेदशिखरसे मोक्ष प्राप्त किया था। सर्व तीर्थकरोंकी तरह इनके भी विशेष बातें हुई थीं। इन्हींके समय पांचवें नारायण पुरुषसिंह और बलभद्र सुदर्शन हुए थे। ____ भगवान धर्मनाथके मोक्ष जानेके बाद बहुत समय पश्चात् सोलहवें तीर्थकर शांतिनाथ हुए। यह हस्तिनापुरके राजा विश्वसेनकी रानी ऐंगदेवीके गर्भसे मिती जेठ वदी चौदसको जन्मे थे। युवावस्थाको
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