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________________ "सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?" हैं | राजस्थान के ऋषभदेव व महावीरजी में भी अजैन लोग बड़ी निष्ठा और आस्था से जाते हैं और उनके आने जाने पर प्रबन्धकों की ओर से कोई पाबन्दी नहीं है। वैष्णव तीर्थस्थलों की भी यही स्थिति है। बद्रीनाथ, केदारनाथ, रामेश्वरम् कोई भी वैष्णव तीर्थ ऐसा नहीं है, जिसमें जैनियों के जाने पर प्रतिबन्ध हो । ऐसी स्थिति में मुख्यमंत्री का यह कथन बेमतलब है कि सम्मेद शिखर सम्पूर्ण जैन समाज का है। सम्मेद शिखर की यात्रा, अजैन भी करते आए हैं, और आज भी करते हैं । मिल्कियत के मुद्दे को प्रबन्ध की तथाकथित खामियों के साथ जोड़ने से ही यह विवाद अधिक उग्र हुआ है। लालूप्रसाद यादव के अब तक के व्यवहार से ऐसा भ्रम पैदा होता है कि उनका झुकाव एक पक्ष की ओर है। किसी भी मुख्यमंत्री को ऐसी धारणा पैदा नहीं होने देनी चाहिए। यदि इस तीर्थ की मिल्कियत पर कोई विवाद है तो इसका फैसला तो अदालत ही करेगी, जिसे सभी पक्षों को मान्य करना होगा। ऐतिहासिक दस्तावेज, सरकार के साथ हुए करारों के आधार पर ही फैसला हो सकता है । केवल प्रबन्ध में खामियों के आधार पर किसी भी धर्म के अनुयायियों की भावनाओं को आघात पहुंचाना न केवल अनुचित है, बल्कि यह विवाद को उग्र बनाने वाला साबित होगा। बिहार सरकार ने अभी कोई अध्यादेश जारी नहीं किया है। केवल अध्यादेश जारी करने का प्रस्ताव मात्र है लेकिन मुख्यमंत्री के बयानों ने शंकाएं पैदा कर दी हैं । दिगम्बर समाज को वर्तमान व्यवस्था में परिवर्तन के लिए सरकार से मदद लेने की आवश्यकता नहीं होनी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035236
Book TitleSammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanraj Bhandari
PublisherVasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1998
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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