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________________ 44 " सम्मेद शिखर - विवाद क्यों और कैसा?" 61 और तब से अब तक वहीं इसकी व्यवस्था देख रहा है। यदि प्रबन्ध में कोई खामी थी तो इस तीर्थस्थान के प्रबन्ध के सम्बन्ध में भारत सरकार, प्रिवी कॉउन्सिल व आजादी के बाद बिहार सरकार ने भी प्रबन्ध की जिम्मेदारी श्वेताम्बर समाज को क्यो सौंपी थी ? यदि आज उसके प्रबन्ध के सम्बन्ध में किसी को कोई शिकायत है तो उसके लिए अदालत का मार्ग खुला है। अदालत में यदि सम्मेद शिखर तीर्थ की मिल्कियत के सम्बन्ध में कोई सन्देह पैदा किया गया तो वह सन्देह भी तीर्थ के सरकार द्वारा अधिगृहीत करने से नहीं, अदालत के फैसले से ही निपटेगा | राज्य सरकार को इसमें दखल देने का कोई नैतिक अधिकार नहीं हो सकता । श्वेताम्बर और दिगम्बर समाज में इस मुद्दे को लेकर एक जबर्दस्त विवाद और टकराव की स्थिति है । यदि सरकार इसके प्रबन्ध में दिगम्बरों की भागीदारी करना चाहती है, उसके पीछे सरकार की नीयत क्या है ? केवल इस क्षेत्र का विकास तो नहीं हो सकता । जो ट्रस्ट आज इसका प्रबन्ध कर रहा है उसके साथ बातचीत करके इस दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं, उसके लिए इसके प्रबन्ध में सरकारी दखल की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। श्वेताम्बर और दिगम्बर, जो दोनों ही जैन धर्म के अनुयायी हैं, उन्हें ही इस मुद्दे पर सोच-विचार करने देना चाहिए। वर्षों से जिस तीर्थ पर एक समुदाय का अधिकार है उसमें कोई बदलाव लाना भी हो तो यह बात दोनों समुदायों को मिलकर तय करनी है, सरकार को नहीं। कोई भी तीर्थ किसी वर्ग विशेष का नहीं हो सकता। भारत के सभी तीर्थ स्थलों में हर समुदाय के अनुयायी जाते रहे हैं और आज भी जाते Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035236
Book TitleSammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanraj Bhandari
PublisherVasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1998
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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