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________________ "सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?" वे पूजा करते रहे हैं तथा कर रहे हैं और उनके इस अधिकार के प्रति हमारे मन में पूरा आदर है । परन्तु पूजा का अधिकार पाकर उन्हें सन्तोष नहीं है । वे तो अब बराबर का स्वामित्व एवं कन्ट्रोल चाहते हैं जो परम्परा अनुसार एवं विधि सम्मत नहीं है। (ग) हम इस परम पावन तीर्थ पर वे सभी विकास कार्य करने के लिए तैयार हैं जो आवश्यक हैं । इस सन्दर्भ में हम दिगम्बर भाइयों के सुझावों को आमन्त्रित करते हैं । प्रस्तावित विकास कार्य जैन सिद्धान्तों और परम्पराओं के विरुद्ध नहीं होने चाहिए।पहले जब कभी भी और जो कुछ भी विकास का काम हमने श्री सम्मेद शिखरजी पर शुरू किया, दिगम्बर भाई उसके विरुद्ध अदालत से स्टे आर्डर ले आए। स्वर्गीय साहू श्रेयांसप्रसादजी ने कहा कि आप विकास काम शुरू कर दीजिए, हम आपत्ति नहीं करेंगे। उनके कहने पर जब आनंदजी कल्याणजी ट्रस्ट ने काम करना शुरू कर दिया तो दिगम्बर भाइयों ने हमारे विरुद्ध अदालत की अवमानना का केस कर डाला। श्री सम्मेद शिखरजी का प्रश्न अदालत के सम्मुख है और इस सन्दर्भ में अदालत का जो भी निर्णय होगा उसे हम सादर स्वीकार करेंगे । साहू अशोकजी को भी अदालत के निर्णय का इंतजार और स्वागत करना चाहिए। अल्पसंख्यक धर्मानुयायों के धार्मिक मामलों में सरकार को हस्तक्षेप का Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035236
Book TitleSammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanraj Bhandari
PublisherVasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1998
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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