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________________ 46 "सम्मेद शिखर-विवाद क्यों और कैसा?" आप जानते हैं कि तीर्थाधिराज श्री सम्मेदशिखर के प्रश्न पर हमारे कुछ दिगम्बर भाइयों, विशेष रूप से साहु श्री अशोक जैन ने अनावश्यक एवं अनैतिक विवाद पैदा किया है । यह अति दुर्भाग्यपूर्ण है कि उन्होंने आपसी एवं समाज के अन्दरूनी विवादों को सुलझाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री श्री लालूप्रसाद यादव की शरण ली है। अगर आप इस प्रस्तावित अध्यादेश के प्रस्तावों को देखें तो आप पायेंगे कि यह बहुत ही खतरनाक परम्परा की शुरुआत है और यह एक काला कानून सिद्ध होगा। दुर्भाग्य से यदि यह अध्यादेश लागू हो गया तो जैन समाज का अपने इस परम पावन तीर्थ पर से नियन्त्रण एवं स्वामित्व समाप्त ही हो जाएगा । भविष्य में बाकी तीर्थों (जैसे बाहुबलीजी, श्री महावीरजी इत्यादि) पर भी इसका दुरुपयोग होने का रास्ता खुल जायेगा | ____ हमें अपने दिगम्बर भाइयों को भी यह विनम रूप से बताना है कि दिगम्बर समाज के नेता (कल तक जो अपने को समस्त समाज का शीर्षस्थ नेता कहते थे) साहू अशोक जैन, अपने नेतृत्व को स्थापित करने के संकीर्ण और स्वार्थपूर्ण उद्देश्य के लिए किस प्रकार पूरे समाज के लिए कठिनाई पैदा कर रहे हैं। उनके धामक अभियान से इस पवित्र तीर्थ स्थान का भी वैसा ही हाल हो सकता है जैसा कि हमारे अन्य पुनीत तीर्थ "श्री केशरियानाथजी'' एवं 'मक्सीजी" का हुआ। अपने अनैतिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए वे हर अवांछनीय साधन का उपयोग कर रहे हैं और अनेक प्रकार के झूठ एवं गलत तथ्यों का सहारा ले रहे हैं। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035236
Book TitleSammetshikhar Vivad Kyo aur Kaisa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMohanraj Bhandari
PublisherVasupujya Swami Jain Shwetambar Mandir
Publication Year1998
Total Pages140
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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