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( २३ ) आगे बढ़ा सकती है। बल्कि सरकार को ऐसी संस्थाओं को अधिक प्रोत्साहन देकर उन्हें भारतीय संस्कृति का केन्द्र बनाना चाहिए। ऐसी स्वतन्त्र संस्थाओं का सरकार की ओर से निर्माण काने में सरकार को अधिक व्यय, अधिक परिश्रम और अधिक समय लगने की स्वाभाविक सम्भावना है। ऐसी अवस्था में मारे देश में, ऐसे जो-जो गुरुकुल, आश्रम, विद्यालय, महाविद्यालय हों, उन्हीं को आगे बढ़ा कर नव-निर्माण का कार्यारंभ करना चाहिए।
शिक्षण और चरित्र-निर्माण के विषय में मैंने अपना नम्र अभिप्राय ऊपर प्रकट किया है। आशा है शिक्षा के अधिकारी एवं शिक्षा से प्रेम रखने वाले महानुभाव इस पर गौर करेंगे।
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