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समरसिंह ।
विशेष सुशोभित हो रहा है पताकाएं वायु में फहराती हुई यात्रियों को मानों यह संकेत कर रही हैं कि इस ओर आकर जिनेश्वर भगवान के दर्शन कर अपने मानव जीवन को सफल करो। जलाशयों में राजहंस और अन्य खगवृन्द मधुर ध्वनि करते हुए ऐसे मालूम होते थे मानो वे पथिकों को शीतल जल पीने का निमंत्रण दे रहे हों। मन्दिरों के अन्दर से निकलते हुए धूप घटिकाओं के धूम्र से आकाश श्याम मेघों की तरह काला दृष्टिगोचर हो रहा था । मन्दिरों में मृदंग और नृत्य के नाद से नगर के दुष्कर्म पलायमान हो रहे थे। नगरवासी धन वैभव से सम्पन्न अपने द्रव्य को सातों क्षेत्रों में दिल खोल कर खर्च कर रहे थे। किराटपुर नगर धर्म की तरह व्यापार का भी मुख्य केन्द्र था । इस प्रकार नगर के लोगों को धर्म और व्यवहार के कार्यों में उत्साहपूर्वक निमग्न देख कर श्रेष्ठिवर्य बेसटने भी इसी नगर में निवास करने का दृढ़ निश्चय कर लिया । उसने अपने कुटुम्ब के लोगों को एक रम्य उद्यान में ठहराया और आप बहु मूल्य वस्त्राभूषण से सुसजित होकर कीमती भेंट लेकर राजसभा में जाने की तैयारी करने लगा।
__ उस समय वह नगर परमार वंशीय जैत्रसिंह के प्राधिपत्य में था जिसकी घवल कीर्ति चहुं ओर प्रसारित थी । उस नरेश के अतुल भुजबल के पराक्रम के मागे सारे शत्रु नतमस्तक थे । जिस दर्जे का वह बली था उसी कोटिका उदार हृदय भी था । याचकों को मुंहमांगा द्रव्य देकर वह अपनी उदारता का
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