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________________ समर सिंह | भगवानादि असंख्य मुनियोंने इस पर चातुर्मास कर मोक्ष पद प्राप्त किया तथा बावीसवे तीर्थंकर श्री नेमीनाथ के शासन काल में थावच्चा पुत्राचार्य १००० मुनियों सहिते और शुक्राचार्य भी १००० मुनियों सहित तथा सेलगाचार्य भी ५०० मुनियों सहित इस पवित्र तीर्थ पर सिद्ध अवस्था को प्राप्त कर गये । पाँचो पाँडव और गौतम सेमुद्रादि अनेक मुनिवरोंने इस तीर्थंपर पधार कर मुक्ति प्राप्त की । इत्यादि प्रमाण इस तीर्थ की प्राचीनता को सिद्ध १ तराणं से थावश्यापुत्ते अणगार सहस्सगं सद्भि सं. परिवुडे जेणेत्र पुडरीए पब्वए तेणेव उवागच्छइ २ पुंडरीयं पव्त्रयं सणियं २ दुरु इति २ मेघ घण सन्निवासं देव सन्निवासं पुढवि सिला पट्टयं जाव पाभोवगमणंणुवन्ने + + +सिद्धे बुद्धे जाव पहिने — ( श्रीज्ञातासूत्र अध्ययन ५ वाँ | ) २ तरा से सुए अणगारे अन्नया कयाइं तेण भणगार सहस्सेसद्धिं सं परिवुडे पुव्वाणु पुत्विं चरमाणे गामाणुगामं विहार माये । जेणेव पुंडरीए पव्वए-जाव सिद्धा बुद्धा मुत्ता अंतगड़ा - ( श्री ज्ञातासूत्र अध्ययन ५ वाँ । ) ३ एणं ते सेलम पामोक्खा पंच अणगार सया बहुणि वासाणि सामन परियागं पाउणित्ता जेणेव पुंडरीए पव्वए तेयेव उवागच्छइ २ त्ता जहेव थावच्चा पुत्ते तहेव सिद्धा । ( श्री ज्ञातासूत्र अध्ययन ५ वाँ । ) ४ जेणेव सेतुजे पव्वए तेणेव उवागच्छइ २ त्ता सेतुज्जे पव्वयं सरिणयं २ दुरु हइ २ ता जाव कालं अणवकं खमाणा विहरंति तएणं ते जुहिडिल पामोक्खा पंच ( श्री ज्ञातासूत्र अध्ययन १६ वां ). सद्धि सेतुज्जे पब्वए x x x जाब अणगारा × × × ५ एणं से गोयम अपगार थेराणं । सिद्धा x x इसी प्रकार आठरहवें अध्ययन का पाठ है । ( श्री अंतगडदशांग सुत्र १ ला अध्ययन ) www.umaragyanbhandar.com Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
SR No.035229
Book TitleSamarsinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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