SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 280
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कमरा रास. RE अष्टमी भाषा चलउ चलउ सहियडे सेत्रुजि चडिय ए । श्रादिजितपत्रीठ अम्हि जोइसउं ए । . माइसुदि चउदसि दूरदेसंतर संघ मिलिया तहिं अति श्राह ॥ १ ॥ माणिके मोतिए चउकु सुर पूरइ रतनभइ वेहि सोवन जवारा | अशोकवृक्ष मनु श्राम्र पञ्चवदलिहि रितुपते रचियले तोरणमाला |२| देवकन्या मिलिय धवलमंगल दियह किंनर गायहि जगतगुरो । लगनमहूरतु सुरगुरो साधए पत्रीठ करइ सिधसूरिगुरो ॥३॥ भुवनपतिव्यंतरजोतिसुर जयउ जयउ करह समरि रोपिउ द्रिदु धरमकंदो । दुहि वाजिय देवलोकि तिहुअणु सीचिउ श्रमियरसे ॥ ४ ॥ देउ महाघज देसलो संघपते ईकोतरु कुल ऊधरए । सिहरि चडिउ रंगि रूपि सोवनि धनि वीरि रताने वृष्टि विरचियले ।। ५ ।। रूपमय चमर दुइ छत मेघाडंबर चामरजुयल अनु दिनदुीि । भादिजिणु पूजिउ सहलकंतिहिं कुसुम जिम कनकमयमा भरण | ६ | भारतिउ धरियले भावलमचारिहिं पुब्वपुरिस सग्गि रंजियले । दानमंडप थिउ समर सिरिहि वरो सोबन सिणगार दियs याचकजन ॥ ७॥ भति पाणी य वरमुनि प्रतिलाभिय अच्चारिउ वाहइ दुहिमदीय। बाबिउ सुधम वितु सिद्धखेत्रि इंद्रउच्छवु करि ऊतरए ॥ ८ ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035229
Book TitleSamarsinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy