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________________ समरा रास । २३९ भांडू आव्या भाउघणउ भवियायण पूजा । जिम जिम फलही पूजिजए तिम तिम कलि धूजइ । खेला नाच नवलपरे धापरिरवु झमकइ । अचरिउ देषिउ धामियह कह चित्तु न चमकइ ॥ ६ ॥ पालीताणइ नयरि संघु फलही य वधावइ । बालचंद्रमुनि वेगि पवर कमठाउ करावह । किं कप्पूरिहि घडीय देह षीरसायरसारिहि ॥ ७ ॥ सामियमरति प्रकट थिय कृप करिउ संसारे । मागी दीन्ह वधावणी य मनि हरषु न माए । देसलऊत्रह चरित्रि सहू रलियातु थाए ॥ ८॥ पञ्चमी भाषा संघु बहुभत्तिहिं पाटि बयसारिउ । लगनु गणिउ गणपरिहि विचारिउ | पोसहसाल खमासण देयए । सरिसेयंवर मुनि सवि संमहे ए ॥१॥ घरि बयसवि करी के वि मनाविया । के वि धम्मिय हरसि धम्मिय धाइया । बहुदिसि पाठविय कुंकुमपत्रिया । संघु मिलइ बहुमली य सजाइया ॥२॥ सुहगुरुसिधसुरिवासि अहिसिंचिउ । संघपति कन्पतरु अमिय जिम सिंचिउ । Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035229
Book TitleSamarsinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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