SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 179
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ समरसिंह। (२८) ॐ ॥ सं० १३८६ वर्षे ज्येष्ठ व. ५ सोमे श्रीऊएसगच्छे वप्पनामगोत्रे गोल्हा भार्या गुणादे पुत्र मोखटेन मातृपित्रोः श्रेयसे सुमतिनाथ विवं कारितं प्र० श्रीककुदाचार्य सं० श्रीककसूरिभिः ।। जैसलमेर-चंद्रप्रभ० (२९) सं. १३८७ वर्षे माघ शुदि १० शनी श्रीउपकेशगच्छे खुरियागोत्रे सा० धीरात्मज सा. झांझण भार्या जयतलदेसुत छाडा प्रासाभ्यां मातृपित्रोः श्रे० श्रीअजितनाथ बिंब का प्र० श्रीककुदाचार्य संताने प्रभुश्री ककसूरिभिः ॥ वड़ोदरा-जानिशेरी चन्द्रप्रभ-जिना. सं० १३८८ वर्षे माघ शुदि ६ सोमे उकेशगच्छे मादिनामगोत्रे शा खीरदेवात्मज शा भडुक भा० मुखाहि पुत्र ऋदपाल लक्ष्मणाभ्याम् भ्रातृ धनसिंह देउसिंह पासचंद्र पुनसी सहिताभ्य कटुम्ब श्रे० शांतिनाथ विंबं का. प्र. ककुदाचार्य संताने श्रीककसरिभिः ॥ पेथापुर. (३१) सं० १३६१ भीऊकेशगच्छे श्रीककुदाचार्य संताने सोमदेव भार्या लोहिणा भात्मा श्रीसुमति विकारितं प्र० किकसरिभ।। जैसलमेर-चन्द्रप्रभ० Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035229
Book TitleSamarsinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy