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उपसगड परिचय । ३२ |पंच प्रमाण कमसूरि . ३३ . , , पंचाशिका कुकुंदाचार्य ३४ |
| नवतत्व विवरण देवगुप्तसूरि । ७४ जै० भं. ३५ शांतिनाथ चरित्र जयसागरो पा०
| उपकेश० ३६ तीर्थकर चरित्र कक्कमूरि १३९१ ३७ सम्यक्त्व गुण वि०,
१३९१ ३८ नाभिनन्दनोद्धार | ,
१३९३ | मुद्रित ३९ उपकेशगच्छ चरित्र
१३९३ । हस्त लि. ४. पद्मावती स्तोत्र कुकुंदाचार्य
वि. दृ०--विक्रम की चौदहवीं शताब्दी के बादमें इसी गच्छ के
आचार्योने विशेष रूप से साहित्य की सेवा कर विश्व पर बड़ा भारी उपकार किया है जिसका विस्तृत वर्णन फिर कभी स्वतंत्र प्रन्थ में लिखा जावेगा।
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