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________________ उपकेशगच्छ परिचय | सं. यों तो उपकेशगच्छाचार्योंने अनेकानेक महान् प्रन्थों की रचना की है जिनमें कई उत्तमोत्तम ग्रन्थ तो विधर्मियों के अत्याचारों से नष्ट भ्रष्ट हो चुके । शेष रहे हुए कई प्रन्थरत्न अभी तक भण्डारों को ही सेवन कर रहे हैं। वर्तमान शोध और खोज से जिन ग्रन्थों की सूची प्रसिद्ध हुई है उनमें से कतिपय ग्रन्थों की नामावली यहां दी जाती है । १ [ अवशिष्ट संख्या ३] श्रीउपकेशगच्छाचार्यों के निर्माण किये हुए ग्रन्थ | V ग्रंथों के नाम. ग्रंथकर्ताओं के नाम. रचित संवत मुनिपति चरित्र मुनि जम्बुनाग जिनशतक " चन्द्रदूत काव्य ४ धर्मोपदेश लघुवृत्ति कृष्णर्षि के शिष्य नौपद प्रकरण ( जयसिंह ) देवगुप्तसूरि ( जिनचन्द्र ) 99 99 "" ,, वृति नं १ नं. २ नं. "" "" 99 99 99 "" " कुळचंद उ० ३) Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat मिलने का स्थान. १००५ | जैसलमेर मं० १०२५ काव्यमाळागु. जै० भंडार में .... १३३ ६१५ पाटण भंडारमें १०७३ * 19 19 99 "9 , " www.umaragyanbhandar.com
SR No.035229
Book TitleSamarsinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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