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________________ गच्छ परिचय | राजपूतों से मूल गोत्र. १ वावेड़ २ बाफना ३ कर्णावट ४ बलाहा ५ मोरख ६ कुलहट ७ विरहट श्रीश्रीमाल गोत्र श्रेष्टी • संचेती ११ आदित्यनाग १२ भूरि १३ भद्र १४ चिंचट १९ कुंभट १६ डिडू १७ कन्नोजिया १८ लघुश्रेष्टि ," "" "9 " "3 "" " "" 99 "" "" "" 39 " "" ܙܙ शाखाएँ प्रतिशाखाएँ तोडियाणी आदि २२ नाइटज्राघड़ादि ५२ आच्छादि १४ शंका बांकादि २६ पोकराणादि १७ १ "" गोत्र | कांकरियादि संडासियादि डालियादि टीबाणियादि 99 सुरवादि १७ २२ भुरंदादि नलिडियादि | वेदमुहत्तादि ढेलडियादि चोरड़ियादि ८५ ३० ४४ २० भटेवरादि समददियादि २६ १६ देशरड़ादि काजलियादि १६ कोचरादि वटवटादि १६ वर्द्धमानादि १६ २१ १ चरड़ २ सुघड ३ लुंग ४ गटिया Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat 99 " " पार्श्वनाथ भगवान् के छठे पाट रत्नप्रभसूरि वीर निर्धारण के ७० वर्ष पश्चात् अर्थात् विक्रम संवत् से ४०० वर्ष पहले ( आज से २३८७ वर्ष पहले ) उपकेशपट्टन नगर जिसे वर्तमान में घोसियां कहते हैं कुलदेवी सच्चाइका 525 " "" د. समय नगर देवी " F ,, 26 १३१ "9 *** , " " " "" www.umaragyanbhandar.com
SR No.035229
Book TitleSamarsinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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