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समरसिंह दूसरा नाम कुकुंदाचार्य भी था आप की सन्तान
कुकुंद्राचार्य के नाम से विशेष मशहूर थीदेवगुप्ताचार्य-आप अहिंसा धर्म के बड़े प्रचारक थे। अनेक जैनेतर
1 लोगों को आपने जैनी बना के मोसवंश में वृद्धि की थी। सिद्धसूरि-जिन्होंने तीर्थाधिराज श्री शत्रुजय का पंद्रहवा उद्धार
I श्रेष्टिवर्य समरसिंह से करवाया । ककसूरि-जिन्होंने नाभिनन्दनोद्धार और उपकेशगच्छ चरित्र नाम
के ऐतिहासिक ग्रन्थों का निर्माण कर जैन समाज
पर परमोपकार किया। नोट--यहाँ पर प्रसंगानुसार दानवीर तीर्थोद्धारक श्रेष्टिवर्य समरसिंह के समय तक के उपकेशाचार्यों का ही संक्षिप्त से परिचय करवाया है। शेष पट्टावली के लिये एक स्वतंत्र ग्रन्थ लिखा जा रहा है । शुभम्
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