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________________ १२४ समरसिंह दूसरा नाम कुकुंदाचार्य भी था आप की सन्तान कुकुंद्राचार्य के नाम से विशेष मशहूर थीदेवगुप्ताचार्य-आप अहिंसा धर्म के बड़े प्रचारक थे। अनेक जैनेतर 1 लोगों को आपने जैनी बना के मोसवंश में वृद्धि की थी। सिद्धसूरि-जिन्होंने तीर्थाधिराज श्री शत्रुजय का पंद्रहवा उद्धार I श्रेष्टिवर्य समरसिंह से करवाया । ककसूरि-जिन्होंने नाभिनन्दनोद्धार और उपकेशगच्छ चरित्र नाम के ऐतिहासिक ग्रन्थों का निर्माण कर जैन समाज पर परमोपकार किया। नोट--यहाँ पर प्रसंगानुसार दानवीर तीर्थोद्धारक श्रेष्टिवर्य समरसिंह के समय तक के उपकेशाचार्यों का ही संक्षिप्त से परिचय करवाया है। शेष पट्टावली के लिये एक स्वतंत्र ग्रन्थ लिखा जा रहा है । शुभम् Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035229
Book TitleSamarsinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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