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________________ उपकेशगच्छ-परिचय। १२१ महावीर मन्दिरों की प्रतिष्टा करवाई। आपने अपने जीवन में करीबन दस लक्ष नये जैनी बनाये । यक्षदेवसरि—जिन्होंने अंग, बंग, कलिंग, मगध और सिन्धप्रान्त । में जैन धर्म का झंडा खूब फहराया। महाराज रूद्राट् और राजकुँवर कक को जैन दीक्षा दी। ककरि-जिन्होंने मरूधर--सिन्ध और कच्छ प्रान्त में जैन | धर्म का प्रचार किया । देवी के बली होते राजकुँवर ___ को प्राणदान दे उसे सपरिवार जैन दीक्षा दी। देवगुप्तसूरि-जिन्होंने कच्छ और पञ्जाब प्रान्त में भ्रमणकर के 1 लाखों मनुष्यों को नये जैनी बनाये और सिद्धपुत्रा चार्य को जैन दीक्षा दी। सिद्धसूरि-जिन्होंने लाखों मनुष्यों को जैनी बनाकर शासन की खूष प्रभावना की। रत्नप्रभसूरि-बड़े ही चमत्कारी और शासन प्रभाविक हुए । यक्षदेवसूरि-माप जैन धर्म के बड़े भारी प्रचारक थे। ककहि-जिन्होंने उपकेशपुर में ग्रन्थीछेद-उपद्रव की शान्ति | करवाई भाप बड़े ही चमत्कारी अध्यात्म योगी थे । सिद्धसूरि-जिन्होंने वलभीनगरी के राजा को प्रतिवोध दे जैनी I बनाया। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035229
Book TitleSamarsinh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundar
PublisherJain Aetihasik Gyanbhandar
Publication Year1931
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size34 MB
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