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उपकेशगच्छ-परिचय ।
११९ के धर्म गुरु श्री सिद्धहिनी आचार्य थे इसी कारण से मैंने इस अध्याय में प्राचार्यश्री गच्छ का संक्षिप्त परिचय पाठकों को कराना उपयुक्त समझा । *
* प्रस्तुत उपकेशगच्छ में प्राचार्य सिद्धसूरि के पश्चात् भी आज पर्यन्त बड़े बड़े प्रभाविक प्राचार्योंने जैन शासन का खूब उद्योत किया । हजारों लाखों नये जैनी बनाये हजारों मूर्तियों और सैकडों जिन मन्दिरोंकी प्रतिष्टा की जिन्हों के संख्याबद्ध शिखालेख आजपर्यन्त मोजूद हैं जिन महर्षियों के बनाये हुए बनेक अन्य जैन धर्मकी प्रभावना के लिये वर्तमान समय में भी मोजूद हैं। यहाँ समरसिंह के सम्बन्ध का विषय प्राचार्य सिद्धसूरि के साथ होने से हमने यहां पर चौदहवीं शताब्दी तक का ही संक्षिप्त परिचय करवाया है विस्तार के लिये समय मिलने पर एक स्वतंत्र ग्रन्थ लिखनेकी मेरी मावना है। शासनदेव इसको शीघ्र सफल करे। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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