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रेवती - दान- समालोचना
किस प्रकार निश्चित हुवा, सो कहते हैंआगमोद्धार समिति के एकत्रित हुए सभासदों के परस्पर
विचार से यह अर्थ निश्चित हुआ है ॥ ५४ ॥
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शास्त्रों की पर्यालोचना थी । उसके सभासद श्री काशीरामजी युवा
अजमेर नगर में साधुसम्मेलन के अवसर पर करने के लिए आगमोद्धार समिति स्थापित हुई श्री उदयचंदजी गणी, श्री आत्मारामजी उपाध्याय, चार्य, पूज्य श्री अमोलक ऋषिजी, आदि जो कि इस समय जयपुर नगर में विराजमान हैं, परस्पर मिले और उन्होंने शास्त्र की पर्यालोचना द्वारा यह निर्णय किया है ॥ ५४ ॥
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विक्रम् सम्बत् ख निधि अंक धरा (१९९० ) की माघ मास के शुक्ल पक्ष की अष्ठमी, मंगलवार के दिन, भारतवर्ष के प्रसिद्ध जयपुर नगर में, सेवक रत्नचन्द्र मुनि ने यह निबंध रचा । यह निबंध हमें और समस्त प्राणियों को कल्याणकारी हो, यह लेखक की भावना है ।। ५५५६ ।।
टीकाकार को प्रशस्ति
संवत १६६० में के माघ कृष्ण पंचमी के दिन यह स्वोयज्ञ सरल टीका पूर्ण हुई ॥ १ ॥
* अंकों की वाम गति होती है, अतः • ९ ९ १ को उलटने से १९९० हो जाता है ।
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