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________________ २११ हयहेसियहत्यिगुलगुलाइयरहघणघणाइयं करेंति । अप्पेगइया उच्छोलेंति । अप्पेगइया पच्छोलेंति अप्पेगइया उक्किट्टियं करोत। अप्पेगइया उच्छोलेंति पच्छोलेंति उकिट्टियं करेंति अप्पेगइया तिनिवि ।अप्पेगइया उवायंति अप्पेगइया उववायंति अप्पेगइया परिवयंति अप्पेगइया तिनिवि । अप्पेगइया सीहनायंति अप्पेगइया दहश्यं करेंति अप्पेगइया भूमिचवेडं दलयंति अप्पेगइया तिनिवि । अप्पेगइया गजति अप्पेगइया विज्जुयायंति अप्पे. गइया वासं वासंति अप्पेगइया तिन्निवि करेंति । अप्पेगइया जलंति अप्पेगइया तवंति अप्पेगइया पववेंति अप्पेगइया तिन्निवि । अप्पेगइया हकारेंति अप्पेगइया थुक्कारेंति अप्पेगइया धकारेंति, अप्पेगइया साइं २ नामाइं साहति अप्पेगइया चत्तारिवि । अप्पे. गइया देवा देवसन्निवायं करेंति, अप्पेगइया देवुज्जोयं करेंति, अप्पेगइया देवुक्कलियं करेंति, अप्पेगइया देवा कहकहगं करेंति, अप्पेगइया देवा दुहदुहगं करेंति, अप्पेगइया चेलुक्खे करेंति, अप्पेगइया देवसन्निवायं देवुजोय देवुकलियं देवकहकहगं देव. दुहदुहगं चेलुक्खेवं करेंति । अप्पेगइया उप्पलहत्थगया जाव सयसहस्सपत्तहत्थगया अप्पेगइया कलसहत्थगया जाव धूवकडुच्छुयहत्थगया हट्टाटु जाव हियया सव्वओ समंता आहावंति परिधावति । तए णं तं सूरियाभं देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ जाव सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीओ अण्णे य बहवे मूरियाभरायहाणिवत्थव्वा देवा य देवीओ य महया महया इंदाभिसेगेणं अभिसिंचंति २ ता पत्तेयं २ करयलपरिग्गहियं Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035223
Book TitleRajprashniya Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorN V Vaidya
PublisherKhadayata Book Depot
Publication Year
Total Pages286
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Book_English
File Size17 MB
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