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________________ ( १०१ ) अर्थात् तीन बेर सामायिक दंडक कहे तो पाप लोक टीका भाष्य चूर्णि समाचारी विरुद्ध निषेध क्यों करते हो कि तीन बेर सामायिक दंडक नहीं उच्चरणा ? अथवा तुम्हारे मताभिनिवेश से एक बेर सामायिक दंडक उञ्चरने से आप के मंतव्य की सिद्धि हो जाती है तो फिर श्रावक दो घड़ी प्रतिक्रमण संबंधी सामायिक में तथा पौषध संबंधी एक पहर की संथारा पौरसी में तीन बेर करेमि भंते सामायिक दंडक को क्यों बोलते हैं ? और आप भी अपनी सर्व विरति सामायिक में तथा एक पहर की संथारा पौरसी में तीन बेर करेमि भंते सामायिक दंडक क्यों उच्चारण करते हो? इन उपर्युक्त २१ प्रश्नों के २१ उत्तर तपगच्छ के श्रीआनंदसागरजी अलग अलग सत्य प्रकाशित करें । इत्यलं विस्तरेण । * सातवाँ प्रश्न * तपगच्छ के श्रीपानन्दसागरजी ने स्वप्रतिज्ञापत्र में लिखा है कि " स्त्रिया जिनपूजा कार्या न वा" अर्थात् स्त्री को श्रीजिनप्रतिमा की पूजा करनी या नहीं? [उत्तर ] इस विषय में ढूँदिये की तरह श्रीप्रानंदसागरजी को शंका करनी अनुचित है, क्योंकि शास्त्रों की संमति से श्रीजिनप्रतिमा की पूजा करनी और आशातनादि होने के कारणों से नहीं करनी, यह दोनों मंतव्य मानने पड़ेंगे। देखिये कि श्रीतीर्थकर महाराज की प्रतिमा तीर्थकर तुल्य मानी है इसी लिये श्रीजिन प्रतिमा की पूजा हित सुख मोक्ष प्रादि फल की हेतु है और वह Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035214
Book TitlePrashnottar Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUnknown
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages112
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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