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श्री वर्द्धमान - सत्य-नीति- हर्षसूरि जैन प्रन्थमाला - पुष्प ६
अर्हम् जिनागमतत्त्वविशारद - सुविहिताचार्य श्री विजयहर्षसूरीश्वर - पादपद्मेभ्यो नमः | श्रीमद् चिदानंदजी कृता
प्रश्नोत्तररत्नमाला
विवेचन समेत
( मंगलाचरण - दोहा )
परम ज्योति परमात्मा, परमानन्द अनूप ।
नमो सिद्ध सुखकर सदा, कलातीत चिद्रूप ॥ १ ॥
पंच महाव्रत आदरत, पालत पंचाचार | समता रस सायर सदा, सत्तावीश गुणधार पंच समिति गुपति धरा, चरण करण गुणधार । चिदानन्द जिनके हिये, करुणा भाव अपार सुरगिरि हरि सायर जीसे, धीर वीर गंभीर । अप्रमत्त विहारथी, मानुं अपर समीर
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