SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 376
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रश्नोत्तर एकसोबीसमो ३५६ पच्चक्खाण तथा पोसह नवकार गुण्यइ पूरा थाइ, विचारी जोज्यो, जिम विजयराजा 'नमो अरिहं नाणं ति निरगओ' ए अक्षर जोइवा, जिम नवकार गुणी सामायिक पोमह लीधा हता तिम पारतां नवकार गुण्यां सामायिक पोसह पार्या कहीयइ, एहलइ जइ 'सामाइय पोसह संठियस्स' ए गाथा पारिवानी नथी तउ स्यु पूछउ ? वली जइयइ सागरचन्द्र दशाणभद्र सुदर्शन थूलभद्रादि न हता तइयइ पोसह सामायिक किम पारता? ते भणी नवकारइजि पारिवानउ पाठ छइ, अनुमोदनानउ पाठ जे महानुभाव थया तेहन नाम लेई अनुमोद्याजि करउ, वली 'सव्वेसु कालपन्वेसु, पसत्थो जिणमए तवोजोगो। अहमिपन्नरसीसु य, नियमेण हवज्जि पोसहिओ ॥१॥' ए गाथा आवश्यकचूर्णि (भा २०२ पाना 3०४) मांहि छइ परं 'अट्ठमी चउद्दसौसु य' ए पाठ नथी, जेह भणी श्रीउत्तराध्ययननी शांत्याचार्यकृत वृत्तिमांहि नवमइ अध्ययनि 'सर्वेष्वपि तपोयोगाः, प्रशस्ताः कालपर्वसु । अष्टग्यां पञ्च दश्यां च, नियतं पौषधं वसेत् ॥१॥' इति श्रीवाससेनकृतः श्लोकः पौषधाधिकारे लिखितोऽस्ति, परं तपा रत्नशेखरसूरिकृत वंदित्तुनी वृत्ति (पाना 13६) मांहि 'अट्ठमी चउद्दसीसु य, नियमेण हविज्ज पासहिओ ॥१॥' ए पाठ निर्मूल लिख्यो छइ, बीजाई गीतार्थ पूछि जोज्यो, ग्रन्थ पूर्वाचार्यकृत जोज्यो, तत्त्वार्थ भाष्यनइ विषइ पौषधोपवास शब्दई 'पौषध' कहतां पर्व, तेहनत उपवास ते पौषधोपवास, ते पौषधोपवास-पर्वदिवसनउ उपवास ते अष्टम्यादि पर्वनइ विषइ नियतपणइ करिबुंजि, वीजीए तिथिए Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035209
Book TitlePrashnottar Chatvarinshat Shatak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBuddhisagar
PublisherPaydhuni Mahavir Jain Mandir Trust Fund
Publication Year1956
Total Pages464
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy