________________
● प्रबन्धावळी ●
मिलती हैं। राजस्थानी हिन्दी में ख्यात, रासो आदि गद्य पद्य के अनेकों ऐतिहासिक साहित्य मौजूद हैं । साहित्य का प्रभाव भी समाज पर कम न था । बड़ी २ कठिन समस्यायें साहित्य के द्वारा अनायास से हल की गई हैं। कई सौ वर्ष पहिले की बात है कि राजा जयसिंह अपनी नव विवाहिता पत्नी पर मुग्ध होकर शत-दिन अन्तःपुर में पड़े रहते थे । राज काज चौपट हो रहा था । मन्त्रीगण समझा कर थक गये परन्तु कोई फल न हुआ । समस्त राज्य का अस्तित्व संकट में पड़ गया । भविष्य अन्धकार पूर्ण दिखाई देता था । राजा तथा राज्य की रक्षा करने की शक्ति किसी में दिखलाई नहीं देती थी। इसी समय कविवर बिहारीलाल जी भाये और यह दोहा लिखकर राजा के पास भिजवा दियाः
" नहिं पराग नहिं मधुर मधु, नहिं विकाश यहि काल । अली कली में यों भुल्यो, आगे कौन हवाल |
इस दोहे को पढ़ते ही महाराज की आंखें' खुल गई 1 उन्हें अपने वास्तविक अस्तित्व का पता लगा । बड़े २ राजनीतिज्ञों का दिमाग जो काम न कर सका था वही काम बिहारी जी के गिने गिनाये शब्दों ने कर दिखाया । इनके द्वारा समाज और राज्य की रक्षा हुई। महाराजा राज काज देखने लगे। यह साहित्य के प्रभाव का एक छोटा सा दृष्टान्त है ।
मध्ययुग के बहुत समय तक साहित्य और समाज का इसी प्रकार सम्बन्ध चलता रहा । क्रमशः जय देश में शान्ति बढ़ने लगी और लोगों का समाज की ओर विशेष ध्यान चिंचा, उस समय साहित्य पर इसका प्रभाव अधिक पड़ने लगा और साहित्य में सामाजिक विषयों को स्वतन्त्र स्थान मिला 1 धार्मिक नैतिक, ऐतिहासिक साहित्य के साथ ? उपन्यास साहित्य का रचना होने लगी और इसमें समाज का प्रभाव परिस्फुट होता गया। संगीत और नाट्य
Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
www.umaragyanbhandar.com