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________________ हमारे महान पूर्वज स्वर्गीय डाकर टेसीटरीके नामसे कुछ पाठक अवश्य परिचित होंगे। आप यरोप अन्तर्गत इटली देशके निवासी थे। आपने राजस्थानी हिन्दीका विशेष अभ्यास किया था और राजपूतानेमें ऐतिहासिक खोजके लिये बहुत दिन बिताये थे। जोधपुर और बीकानेर दोनों स्थानोंमें उनसे मेरी भेंट हुई थी। आप उस समय राजाओंके ख्यात, चारणोंके कवित्त, छन्द, गीत, कथाओंके संग्रहमें तत्पर थे। एसियाटिक सोसाइटी आफ बैंगाल के जरनल में उनकी कई रिपोर्ट छपी थीं, जिनमें उनकी इस ओरकी कार्यवाही प्रकाशित हुई है। उक्त प्रसिद्ध संस्थासे बिब्लियोथेका-इन्डिका नाम की जो ग्रंथमाला निकलती है, उसमें आपने राजस्थानी सीरीज़ नामसे कई ग्रंथ प्रकाशित किये थे। परन्तु थोड़े ही समय के बाद उनको कार्यबश स्वदेश लौटना पड़ा और वहाँ ही उनका देहांत हो गया। इटली जानेके पहले, आपने राजपूताने में जो हस्तलिखित ग्रंथ, गुटके आदि संग्रहित किये थे, वे आप उक्त एसियाटिक सोसाइटी में रख गये थे। मैं समय २ पर उन ग्रंथों का निरीक्षण करता रहा। उनमें राजस्थान के इतिहास-सम्बन्धी सामग्रीके साथ-साथ अपने ओसवालों के प्रसिद्ध पुरुषों की गुण-कीर्ति में रचे हुए गीत, कवित्त, छन्द आदिका भी संग्रह मिला। इन सबके प्रकाशित होनेसे अपने पूर्व पुरुषों की कीर्ति और काय-कलाप पर विशेष प्रकाश पड़ेगा। इसी विचारसे उक्त डा. टेसीटरी साहब के संग्रह में से कुछ साधन आज मैं पाठकों की सेवा में उपस्थित करता हूं। आशा है जाति-प्रेमी अन्य सजन भी ऐसी Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035203
Book TitlePrabandhavali - Collection of Articles of Late Puranchand Nahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherVijaysinh Nahar
Publication Year1937
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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