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* प्रबन्धावली. नवीन प्रोटेस्टेन्ट ( Protestant ) धर्मका आक्रमण हुआ था, उस समय हजारों जीवन नष्ट हुए थे। मुसलमानों में शिया, सुन्नी के भेद से भी उस समाज को बहुत कुछ हानि पहुंची थी। आज इसी मतभेद से अमीर अमानुल्लाह को देश त्यागी होना पड़ा है। विधवा विवाह आदि सामाजिक विषयों पर धार्मिक प्रभाव बहुत पड़ा हुआ है। एक पक्षवालों के धार्मिक विचार जबतक संपूर्ण रूप से दूसरों के विचार के साथी न बनेगे तब तक समाज में ऐसी विवाह प्रथा कदापि चलने की आशा नहीं है। इसी प्रकार वर्णाश्रम पर धार्मिक छाप लगा कर अछूतोंके ऊपर के कार्य की सफलता बहुत कुछ अन्धकार में फेक दी गई है। धार्मिक विषय और आध्यात्मिक चर्चा को गौण रख कर पाश्चात्य लोग जड़ विज्ञान में अब बहुत अग्रसर हो गये हैं। इस समय उनके समाज में यह धार्मिक अग्निकुन्ड बहुत दबा पड़ा है। इसी कारण उनके समाज में यह धार्मिक मतभेद प्रज्वलित अग्निकुन्ड की तरह उनको ध्वंस करने में असमर्थ हैं। अपने समाज में भी धार्मिक विषय को पृथक् करके शिक्षा विषय पर, खास्थ्य के नियम पर, कुरीतियों को हटाने पर और अन्यान्य आवश्यकीय सुधार पर जिस समय अपने ओसवाल नवयुवक कमर कसेंगे उसी समय ऐसे अग्निकुन्ड से रक्षा पाने की आशा हो सकती है अन्यथा समाज का पतन अवश्यंभावी है। ___मैंने किसी मत पर व्यक्तिगत आक्षेप के भाव से नहीं लिखा है। समाज का धार्मिक अनैक्य विचार हृदय में विशेष रूटकता है। इसी कारण जो कुछ मैं सोच रहा हूं वही पाठकों के सन्मुख यथावत् उपस्थित किया है। अतः समस्त ओसवाल भाईयों से निवेदन है कि मेरे वक्तव्य पर अवश्य ध्यान दें और समाज हित के लिये उचित व्यवस्था सोच कर प्रबन्ध करें। अलमति विस्तरेण ।
'ओसवाल नवयुवक' वर्ष २ संख्या ८ (अग्रहण १९८६) पृ० २५५-२५८ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat
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