SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 156
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ *प्राधावली* * १२६ . एक ऐसा प्रवाद प्रचलित है कि जैनाचार्य सिद्धसेन दिवाकर ने श्री पार्श्वनाथ की स्तुति में "कल्याण मंदिर" स्तोत्र रचकर उज्जयिनी के 'महाकाल शिव' के मन्दिर में पढ़ा था उस पर शिव लिंग फट गया और उसमें से पार्श्वनाथ की प्रतिमा प्रकट हुई, जो आज तक 'ऐति पार्श्वनाथ' के नामसे प्रसिद्ध है। ___ सबसे महत्व पूर्ण बात यह है कि जैसे शंकरजी को पूजा अलग२ स्थानों में अलग २ नामों से होती है। ठीक इसी प्रकार श्री पावनाथ की पूजा विभिन्न स्थानों में सैकड़ों विभिन्न नामों से होती है। 'काठमांडू' के शिवजी 'पशुपतिनाथ' के नाम से, काशी के 'विश्वनाथ' के नाम से, काश्मीर के 'अमरनाथ' के नाम से पूजे जाते हैं। श्री पाश्वनाथ की पूजा भी विभिन्न स्थानों में विभिन्न नामों से होती है । जैसे 'अन्तरीक्ष', 'चिन्तामणि', 'संखेश्वर', 'कलिकुड' आदि । यहां पर मैं विभिन्न स्थानों के भगवान् पार्श्वनाथ और भगवान् शंकरनाथ के नामों की कुछ सूची देता हूं, जिससे पाठकों को इन दोनों जैन और हिन्दू देवताओं की ऐसी विचित्र समता का अंदाज लग सकेगा। नाम और स्थानों की सूची पार्श्वनाथ खान शंकरनाथ सान १ अंजारा काठियावाड़ १ अचलेश्वर आबू, जोधपुर २ अंतरीक्ष २ अमरनाथ काश्मीर ३ अमीझरा गिरनार ३ ओंकारनाथ नासिक ४ ऐवन्ति उज्जन ४ एक लिंग मेवाड़ ५करेरा मेवाड़ ५ कपिलेश्वर राजगिर ६ कलिकुण्ड केम्बे ६ केदारनाथ हिमालय Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035203
Book TitlePrabandhavali - Collection of Articles of Late Puranchand Nahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherVijaysinh Nahar
Publication Year1937
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy