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________________ * प्रयधावली. अर्जन ग्रन्थोंपर वताम्बर जंन विद्वानोंकी टीका : - व्याकरण कानन्य-पत्र*-बर्द्धमान मरियत कातंत्र विस्तार' । सोमकीर्ति सरिकन ( कलार) 'कातंत्र पंजिका' वृत्त। जिनप्रभ सरिकृत 'कातंत्र. विभ्रा' वृत्त । वारित्रसिंहकन 'कातंत्रविभ्रमावरि' । मेरुगरिकृत 'बालायबोध' वृत्ति। विजयनन्दनकृत 'पाहता'। दुर्गसिंहकृत वृत्ति । पृथ्वीचंद्र सूरिकृत 'दौसिंह' वृत्त । मुनिशेखरकृत वृत्ति । प्रयोध मूर्तिकृत 'दुगपदप्रयोध' वृत्त । मुनिचंद सूरिकृत वृत्ति । गौतम कृत कातंत्रदीपिका' । विजयानंदकृत 'कातंत्रोत्तर' । पाणिनि - रामचंद्रहित वानुगाट' टीका। सिद्धांत वन्द्रिका-ददित 'सुवाधिनी' टोका। मुग्धवध - कुलमंडनात 'मुग्धावबोध उक्ति' । काशिकान्यास-जिनंदबुद्धिकृत ।। कविकल्पद्म- विजयविलका अवचरे । सारस्वत - सहजातिशत वृत्त । भानुचन्त टीका। दयारत्नकृत वृत्त । मेघरत्नरत छुटिका' वृत्त । यतीराहत 'सार. स्व दापिका' वृत्ति । चन्द्रकीर्तित वृत्ति । नयसुन्दर हत टीका। श्रः मंडनहत सारस्वत-मण्डन टोका। वाक्यप्रकाश- उदयधर्मकृत टीका। हर्ष कुलस्त टोका। रतसूरि रुत टाका। अनि कारिका-शनामाणिस्पन अपरि। हर्षकोतिशत वृत्ति । * इसा कातन्त्र सूत्र पर दिगम्परावार्य भारत विश्व कृत भी “कानन्त्ररूमाला" नाम का एक प्रशत वृत्त है। बलिक कई विधान कातनापरवाया शवाक: जवानी दें। [सं.] 12 Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com
SR No.035203
Book TitlePrabandhavali - Collection of Articles of Late Puranchand Nahar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherVijaysinh Nahar
Publication Year1937
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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