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• प्रस्थावली - जोधपुर की प्रति में
करके दीजै मो रूपा, पावन सुमत गणेत।
विधन विडारण सुजकरण, जय जय सुतन महेस ।१।' मेरो प्रति में
'सु ( ल संपति ) दायक सकल । सिद्धि बुद्धि सहित गणेश । वियन विडारण विनय सौं। पहिलो तुझ प्रणमेश । १ ।'
इन सब विषयों के अतिरिक्त प्रतियों के पाठान्तर आदिपर भी विषेचन करनेको आवश्यकता है, परन्तु इस प्रबन्ध का फलेयर बढ़ाना अनुचित समझकर इसको यहां समाप्त करता हूं।
'विशाल भारत' वर्ष १२ अंक ६, दिसम्बर, १९३३, पृ० ०२६-११५
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