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कल्प
सूत्र
[भाग-8] दशाश्रुतस्कंध-अध्ययनं-८ "कल्पसूत्र"- (मूलं वृत्ति:)
...... व्याख्यान - .......... मूलं H गाथा [-] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता दशाश्रुतस्कंध-अध्ययन-८ कल्पसूत्र मूलं एवं विनयविजयजीरचिता वृत्तिः:
प्रत सुत्रांक
[-] गाथा -
सुरी तक याने पर्युषाणों के दोनो में सदाबंद माफीफ
नकल रुषकार हाजाकी बतोर दाखलाजाचार्य पलती रहेगी. इसमें विशेष ये हुक्म दियाजाताहेके. जीआनंदसागर सूरीजी माहाराज वय माहाजने सैलाने की हद मे इन दिनो में बकरानही मारा जायेगा.
सैलाने को देने वास्ते दरबार ऑफीस में भेनानाये. २ हमारी सालगीरह की तीथी अयमीहै. ईसलीये
तारित १५ नवंबर सन् १८२१ संमत् १५७८ हरमहीने की दोनोअष्टमीके दीनयाने सालभर में
सही ईग्रेजी में श्रीजी हजुर साहबबहादुरकी. दीन ओकादसी व अमावस्या की पलती के माफीक अज महक्मे आलीये दरबार सैलाना. तमाम ईलाके में पलती होतीरहे.
नकल रुबकार हाजाकी जरीय नकल हकम हाना
दीप अनुक्रम
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नंबा रोजना
मया ५२२. हु. नंवर रसीर.
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