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________________ आगम (४४) [भाग-7] "नन्दी- चूलिकासूत्र-१ (मूलं+वृत्ति:) ............. मूलं R२] / गाथा ||५९|| ..... प्रत नन्दीहारिभद्रीय सूत्रांक वृत्ती ॥ ५५॥ [२२] गाथा ||१९|| मतिसुतादीणं । णधि जुगवीषयोगो सब्वेमु तहेव केवलिणी ॥ १५ ॥ भणियंपि य पनत्तीपन्नवणादीसु जह जि-के केवलज्ञानं णो समयं जं जाणती न पासा तमणुरयणप्पभादीणं ॥ १६ ॥ इदं गाथात्रयमपि प्रकटार्थम् । अधुना ये केवलज्ञा-14 नदशेनाभेदपादिनस्तनमतमुपन्यस्याह-जह किर वीणावरण देमन्नाणाण संभवो न जिणे । उभयावरणादीते त-14 ह केवलदसणस्साचि ।। १७॥ निगदसिद्धा । सिद्धान्तवाद्याह-देमन्त्राणोवरमे जह केवलणाणसंभवो भणिओ। देस-1 ईसणविगमे तह केवलदंसणं होउ ।। १८॥ अह देसणाणदंसणविगमे तुह केवलं मयं णाणं । ण मतं केवलदंसणमेच्छामेत्तं णणु तवेयं ।।१९।। भण्णइजहोहिणाणी जाणइ व पासइव भासितं सुत्ते। न प णाम ओहिदसणणाणेगत्तं तह इमंपि ॥ २०॥ जह पासह तह पामतु पासति सो जेण-दंसणं तं से। जाणति य जेण अरहातं से णाणंति बत्तव्वं ॥ २१॥ स्वपक्षसमर्थनार्थव सिद्धान्तवाचाह---णाणम्मि दंसणम्मि य एत्तो एगतरयम्मि उपउत्तो।।४ सबस्स केवल लिस्सा जुगणं वो णस्थि उबओगा ॥२२॥ उवओगी एगयरो पणुवीसतिमे सते सिणायस्स । भणिओ वियद्वत्थो च्चिय छडुद्देसे विसेसेउं ।। २३ ॥ गाथाद्वयमपि निगदसिद्ध, नवरं भगवस्या पंचविंशतितमे शतेऽधि-12 कारोपलधिते 'सिणायस्स' ति स्नातकस्य केवलिनः । सिद्धान्तवाद्यनुभूतत्वमागमभक्तिं च परां ख्यापयवाह--कस्स पर णाणुमतमिर्ण जिणस्स जदि होज्ज दोषि उवओगा। पूर्ण ण होति जुगवं जेण णिसिंद्वा सुते बहुसो ॥ २४ ॥8॥५५॥ | निगदसिद्धैवेत्यलं प्रसंगेन, प्रकृतं प्रस्तुमः। 'अह' गाहा ॥(५९-१३४)। इह मनःपर्यायज्ञानानन्तरं सूत्रक्रमोदेशतः शुद्धिलाभतश्च प्राक्केवलज्ञानमुक्तं, तदुपन्यस्तय दीप अनुक्रम [९०] पूज्य आगमोद्धारकरी संशोधिता मुनि दीपरत्नसागरेण संकलिता आगमसूत्र [४४] चूलिकासूत्र [१] नन्दीसूत्र मूलं एवं हरिभद्रसूरिजीरचिता वृत्ति: ~68~
SR No.035067
Book TitleSavruttik Aagam Sootraani 2 07 Nandi Vrutti Aagam 44 evam Anuyogdwar Vrutti Aagam 45
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Dipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherParam Anand Shwe Mu Pu Jain Sangh Paldi Ahmedabad
Publication Year2017
Total Pages270
LanguagePrakrit, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_nandisutra, & agam_anuyogdwar
File Size20 MB
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